तृतीय श्रेणी कर्मचारी यदि लंबे समय तक द्वितीय श्रेणी पद का प्रभारी रहा हो तो क्या समान पद समान वेतन का सिद्धांत लागू होगा

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ (प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन) के सामने यही प्रश्न आया था। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का क्यूरेटर लंबे समय तक प्रभारी लेक्चरर के तौर पर काम करता रहा और रिटायर हुआ। कर्मचारी का कहना था कि, उसे लेक्चरर मानते हुए रिटायरमेंट के बाद वह सभी लाभ दिए जाएं जो लेक्चरर को दिए जाते हैं। युगल पीठ कर्मचारी के दावे को खारिज कर दिया।

मामला ग्वारीघाट रोड, जबलपुर निवासी डॉ विजय सिंह का है। डॉ विजय सिंह रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में क्यूरेटर के पद पर कार्यरत थे। यह पद तृतीय श्रेणी कर्मचारी का पद होता है लेकिन डॉ विजय सिंह लंबे समय तक यूनिवर्सिटी में एक लेक्चरर के तौर पर काम करते रहे। उन्होंने लेक्चरर पद की सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और इसके प्रमाण भी है। इसी तरह वह रिटायर हो गए। डॉ विजय सिंह की मांग है कि उन्हें समान काम समान वेतन का लाभ दिया जाए। उनके पद को लेक्चरर यानी द्वितीय श्रेणी माना जाए और उसी के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ दिए जाएं।

सिंगल बेंच के बाद डबल बेंच में अपील की थी 

डॉ विजय सिंह ने सबसे पहले सिंगल बेंच में याचिका फाइल की थी। सिंगल बेंच ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया। याचिका खारिज होने पर उन्होंने डबल बेंच में अपील की लेकिन डबल बेंच ने भी उनकी अपील को अस्वीकार कर दिया। डबल बेंच ने कहा कि ' क्योंकि शासन कौन है तो तृतीय श्रेणी कर्मचारी से द्वितीय श्रेणी अधिकारी के तौर पर कभी पदोन्नत नहीं किया इसलिए उन्हें द्वितीय श्रेणी के लाभ नहीं दिया जा सकेंगे।' याचिकाकर्ता डॉ विजय सिंह की तरफ से एडवोकेट डीके दीक्षित एवं शासन की ओर से एचके उपाध्याय उपस्थित हुए थे।

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