भोपाल। एक जमाने में भोपाल की शान रही बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी का मैनेजमेंट अब मजाक बनकर रह गया है। सबसे ज्यादा मामले विधि विभाग से आ रहे हैं। LLM फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा जो 14 जनवरी से 18 जनवरी तक घोषित की गई थी, अचानक बदलकर 28 दिसंबर से 30 जनवरी कर दी गई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि एग्जाम की डेट चेंज किसी ऑफिशल नोटिफिकेशन के द्वारा नहीं की गई बल्कि व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से कर दी गई। स्टूडेंट्स समझ नहीं पा रहे हैं कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन के ठीक पहले जबकि देशभर में तनाव का माहौल है यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट परीक्षाएं कैसे आयोजित कर सकता है।
मामला क्या है
मास्टर ऑफ़ लॉज़ (Master of Laws) जिसमें छात्रों को नियम और कानून पढ़ाए जाते हैं उसी विभाग में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने 14 से 18 जनवरी तक फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करने के लिए आधिकारिक सूचना जारी की थी। स्टूडेंट्स तैयार थे। डेट्स कंफर्टेबल थी। तैयारियों के लिए वक्त मिल गया था। बीते रोज अचानक शाम को स्टूडेंट्स के व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया। बताया गया कि HOD मैडम ने सेमेस्टर एग्जाम की डेट चेंज कर दी है। अब यह एग्जाम 28 दिसंबर से शुरू होगा जो लगातार 3 जनवरी तक चलेगा। समाचार लिखे जाने तक इस परिवर्तन का कोई ऑफिशल नोटिफिकेशन नहीं जारी हुआ था।
तनाव भरे माहौल में परीक्षा कैसे करा सकता है मैनेजमेंट
एक बड़ा सवाल यह भी है कि पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। 25 दिसंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद पूरी कांग्रेस पार्टी के साथ भोपाल शहर में प्रदर्शन करने वाले हैं। बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी और भोपाल शहर में नागरिकता कानून का विरोध करने वालों की संख्या कम नहीं है। 20 दिसंबर को अचानक पूरे भोपाल का इंटरनेट बंद करना पड़ा। स्थिति चिंताजनक थी। ऐसे हालात में जबकि देशभर की 23 यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई है, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी यह जोखिम कैसे उठा सकती है।
लॉ डिपार्टमेंट में पहले भी ऐसी ही मनमानी हुई है
इससे पहले भी BALLB की एग्जाम डेट अचानक बदल दी गई थी। इतना ही नहीं परीक्षाओं का आयोजन दोपहर 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक कराया गया। परीक्षा के बाद स्टूडेंट्स को घर पहुंचने में रात हुई। स्टूडेंट्स काफी परेशान हुए। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। शाम को 6:00 बजे अंधेरा हो जाता था। घर पहुंचते-पहुंचते रात हो जाती थी। पेरेंट्स आपत्ति करते थे। सरल सा सवाल है, परीक्षाओं का आयोजन सुबह की पाली में होता है। यदि व्यवस्था ना हो तो दोपहर की पाली में हो जाता है लेकिन शाम को परीक्षाएं आयोजित कराने का क्या औचित्य था।
