अतिथि विद्वानों ने सरकार को बताया: कैसे हो सकता है नियमितीकरण | ATITHI VIDWAN NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। कांग्रेस पार्टी द्वारा दिये गए नियमितीकरण के वचन को जल्द पूरा करने की मांग को लेकर आंदोलनरत प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथिविद्वान लगातार 12वें दिन भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क में डटे हुए हैं। 

हाल यह है कि अपनी जाती हुई नौकरी को बचाने अतिथि विद्वान अपने परिवार सहित भोपाल के शाहजहांनी पार्क में डेरा डाले हुए है। हालांकि सरकार द्वारा इस आशय का आश्वासन दिया जा रहा है कि कोई भी अतिथिविद्वान नौकरी से नही निकाला जाएगा, किन्तु इस बार अतिथिविद्वान अपने नियमितीकरण की पुरजोर माँग कर रहे है एवं लिखित में सरकार से आदेश जारी करने की मांग कर रहे है।

दिवंगत कांग्रेस विधायक की दी गई श्रद्धांजलि

आज पंडाल में जैसे ही मुरैना के जौरा विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के विधायक बनवारीलाल शर्मा के दुखद निधन की ख़बर आई, अतिथि विद्वानों द्वारा दिवंगत विधायक को श्रद्धांजलि देने एक सभा आयोजित करके दिवंगत आत्मा को याद किया गया। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार मोर्चा द्वारा दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना सभा आयोजित की गई। संयोजकद्वय ने आगे कहा कि  प्रदेश के अतिथिविद्वानों ने प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनवाने में महती भूमिका निभाई है। इस प्रदेश के युवाओं, किसानों और अतिथि विद्वानों ने अपने स्वर्णिम भविष्य की आशा में कांग्रेस पार्टी के 15 वर्षों के वनवास को समाप्त किया था। अब यह सरकार का दायित्व है कि वह हमारे हितों का संरक्षण करे।

सरकार चाहे तो आसानी से निकाल सकती है नियमितीकरण का फॉर्मूला

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार सरकार चाहे तो बहुत आसानी से हमारे नियमितीकरण की नीति बना सकती है। पूर्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार के दौरान ही 1987 में तदर्थ एवं 1990 में सहायक प्राध्यापकों की आपाती भर्ती की गई थीं। इसी तरह हाल में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्य सरकारों ने कानून पास करके पूर्व से सेवाएं दे रहे अतिथि विद्वानों को नियमित नियुक्ति दी है। 

उल्लेखनीय है कि इसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कुछ निर्णयों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, जहां कोर्ट ने इन नियुक्तियों को वैधानिक रूप से सही माना है। अतिथि विद्वानों ने मांग की है कि सरकार के पास हमारे नियमितीकरण हेतु कई दस्तावेज तथा फाइलें हमने विचार एवं सुझाव हेतु सौंपी है, अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि उच्च शिक्षा विभाग कितनी जल्दी इन सुझावों पर निर्णय करता है।

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