स्वाइन फ्लू खतरनाक बीमारी है। एलोपैथिक डॉक्टरों की माने तो यह मौत का दूसरा नाम है। परिवार में तो छोड़िए यदि पास पड़ोस में भी किसी को स्वाइन फ्लू हो जाए तो पूरे इलाके में सनसनी फैल जाती है। कोई भी एलोपैथिक डॉक्टर गारंटी नहीं देता कैसे ठीक किया जा सकता है लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि आयुर्वेद में ऐसी कई दवाएं हैं जो एलोपैथी में नहीं है:
आयुर्वेद से स्वाइन फ्लू का इलाज संभव है
आयुर्वेद विशेषज्ञों की मानें तो गिलोय और तुलसी का काढ़ा जानलेवा बीमारी का इलाज संभव है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों का कहना है कि आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू का कारगर उपचार हो सकता है। तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, ठंड लगना, कमजोरी, शरीर दर्द मांसपेशियों में दर्द, नाक से पानी बहना, छींक व डायरिया स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं।
स्वाइन फ्लू को घरेलू इलाज से ठीक किया जा सकता है
स्वाइन फ्लू के लिए इंन्फ्लूएंजा वायरस को जिम्मेदार माना जाता है जो पिग के जरिये मानवों में फैलता है। कोई भी सामान्य जुकाम स्वाइन फ्लू हो सकता है, इसलिए कोई भी लक्षण दिखते ही आयुर्वेद का काढ़ा इस्तेमाल करने से रोग ठीक हो सकता है।
स्वाइन फ्लू के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने की विधि
इसके लिए गिलोय, तुलसी, काली मिर्च व दालचीनी को समान मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बनाकर दिन में दो बार इस्तेमाल करने से स्वाइन फ्लू ठीक हो जाता है। देसी कपूर पांच ग्राम व छोटी इलायची पांच ग्राम मिलाकर पीस लें और पोटली में बांध कर इसे बार-बार सूंघने से भी लाभ होगा।
स्वाइन फ्लू को जड़ से खत्म किया जा सकता है
गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेदिक चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. वीके अग्रवाल और आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. नीरज शर्मा का कहना है कि गिलोय तुलसी का काढ़ा स्वाइन फ्लू में रामबाण है। इसके प्रयोग से बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है।