हम यदि किसी भी खाली बर्तन या वस्तु को किसी भी पदार्थ या केवल वायु से भर दे तो उसके वजन में अंतर आ जाता है। यानी कि हवा का भी अपना वजन होता है तो प्रश्न यह है कि यदि पेन ड्राइव या हार्ड डिस्क में डाटा भर दिया जाए तो क्या उसके वजन में भी अंतर आ जाएगा। क्या डाटा का भी कोई वजन होता है।
पेन ड्राइव में डाटा की तकनीक को समझिये
एनिमेशन मीडिया के लिए काम करने वाले आशुतोष अग्निहोत्री बताते हैं कि हर ट्रांजिस्टर (चाहे वह पेनड्राइव हो या हार्ड डिस्क) आइस ट्रे के खाचों की तरह है जिसमें आवेश भरा जाता है। जिस तरह खाली आइस ट्रे के खांचों में कोई पानी नहीं होता वैसे ही नए ख़रीदे खाली पेन ड्राइव के ट्रांजिस्टर में आवेश नहीं होता।
आवेश नहीं होना अर्थात = 0
आवेश होना अर्थात = 1
नई पेनड्राइव खाली होती है, डाटा बढ़ते ही पैटर्न बन जाता है
इसे बाइनरी भाषा कहते हैं। सारा इलेक्ट्रॉनिक डेटा केवल और केवल 0 और 1 के अलग अलग रूप से व्यवस्थित होने से बनता है। ट्रांजिस्टर एक दूसरे से कपैसिटव मेथड से कनेक्ट होते है जो उनके बीच एक capacitor की उत्पत्ति कारता है। इसलिए जब आप कोई डाटा पेन ड्राइव में भरते हैं तो सारे ट्रांजिस्टर खाली नहीं रहते बल्कि वे विभिन्न पैटर्न में भरे जाते हैं।
सैद्धांतिक तौर पर पेन ड्राइव का वजन बढ़ जाएगा
स्वाभाविक है कि भरी हुई आइस ट्रे का वजन खाली आइस ट्रे से ज्यादा होगा क्यूंकि उसमें पानी का भार भी जुड़ जायेगा। इसी तरह सिद्धांत रूप में एक पूरी तरह खाली पेन ड्राइव से एक भरे हुए पेन ड्राइव का भार उतना ज्यादा होना चाहिए जितना उसके कैपेसिटर में प्रवाहित आवेश का हो।
क्या डाटा का वजन दुनिया की किसी तराजू में तौला जा सकता है
यह अंतर हांलांकि हमें महसूस होना असंभव है क्यूंकि electron का भार होता है 9.109×10−31 किलोग्राम, अर्थात ९.१०९ किलोग्राम को '1 के आगे 31 शून्य' संख्या से भाग देने पर जो प्राप्त होगा वह। यह संख्या इतनी सूक्ष्म है कैसे किसी भी तराजू पर तौला नहीं जा सकता। आवेश इन इलेक्ट्रान का बना होता है इसलिए उसका भार सामान्य मानवीय प्रसंग में नगण्य ही रहेगा चाहे वह आसमान की बिजली जैसा लाखों गुना प्रबल आवेश भी क्यूँ न हो।
तो सैद्धान्तिक रूप से यह सही है और आदर्श स्थिति में ऐसा ही होता भी है कि पेन ड्राइव का भार बढेगा, पर हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में कुछ अन्य स्थितियां कार्य करती हैं जो इस पर प्रभाव डालती हैं। अब हम उन पर विचार करते हैं -
क्या फॉर्मेट करने से पेन ड्राइव का वजन घट जाएगा
पहला तो यह है जब आप पेन ड्राइव को फोर्मेट करते हैं तो सामान्य फोर्मेट में उसमें उपस्थित डेटा आम तौर पर कहीं नहीं जाता बल्कि सिर्फ उसकी इंडेक्स ख़त्म हो जाती है। इसका अर्थ है कि उस सीट पे इलेक्ट्रान अब भी वैसे ही बैठा है जैसे पहले बैठा था, बस उसे नोटिस दे दिया गया है कि नया डेटा आने पर उसे उठा दिया जायेगा और पैटर्न परिवर्तित होगा। आपको भले ही वह पेन ड्राइव खाली दिखे पर वह सिर्फ इस बात को दिखाता है कि सारी डिस्क डेटा लेखन के लिए उपलब्ध है। इसलिए सामान्य फोर्मेट करने से आवेश का भार नही बदलता।
पेनड्राइव की जीरो फिलिंग करने से क्या होगा
हार्ड फोर्मेट करने का भी एक आप्शन वैसे उपलब्ध होता है जो आवेश की क्लींजिंग करके सारी सीटें खाली करवा लेता है वह zero-Filling कहलाती है, वह एक अलग विषय है और संक्षेप में केवल पेन ड्राइव को नये जैसा खाली कर देती है जहाँ से डेटा रिकवरी असंभव होगी।
क्या डाटा में KB और MB का मतलब वजन से है
दूसरी बात है कि किस डेटा का भार कितना होगा यह निर्धारण हमारे लिए संभव नहीं क्यूंकि कंप्यूटर उपलब्ध जगह और स्थिति के अनुसार एक ही फाइल को कई तरह से कई पैटर्न में सेव कर सकता है जिसका अर्थ है कि आवेश स्तर पर आपकी 112 kb कि टेक्स्ट फाइल 3mb कि पीडीऍफ़ से भारी हों यह भी संभव है। (यही वजह है कि 1GB का एक फाइल जहाँ 3 मिनट में कॉपी होगा वहीँ 1 GB का 3000 फाइल वाला फोल्डर कॉपी होने में 13 मिनट ले सकता है)।