RDVV: प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय जहां बांस खेती और उसके उत्पादों की ट्रेनिंग कराई जाएगी | JABALPUR NEWS

जबलपुर। देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी बांस (बम्बू) की बढ़ती मांग को देखते हुए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय अब छात्रों से बांस की खेती कराने जा रहा है। प्रदेश में रानी दुर्गावती विवि ऐसा इकलौता विश्वविद्यालय होगा जहां बांस से जुड़ी पढ़ाई और आवश्यक ट्रेनिंग उपलब्ध होगी। विवि प्रशासन ने इसकी तैयारी कर ली है।  

उच्च शिक्षा विभाग से पहले ही एप्रूवल मिल गया है, वहीं विवि की बोर्ड ऑफ स्टडी से सिलेबस तैयार कर एप्रूव कर दिया गया है। अगले सत्र से इस नए एक्सक्लूसिव पाठयक्रम की शुरुआत सर्टिफिकेट कोर्स के साथ हो सकेगी। रुझान बढऩे के बाद इस कोर्स को डिग्री कोर्स के रूप में शुरू करने का प्रयास किया जाएगा। बांस से जुड़ा पाठ्यक्रम फिलहाल प्रदेश के किसी भी शिक्षण संस्थान में नहीं है। बांस को केंद्र सरकार उद्योग के रूप में भी स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। लोगों को आकर्षित करने प्रदेश सरकार सब्सिडी दे रही है। 

राष्ट्रीय बांस मिशन में 3 हैक्टेयर क्षेत्र में 5 हजार बांस लगाने में करीब 6 लाख की सब्सिडी दी जाती है। कई खूबियों से भरा बांस ठ्ठ बांस से सीएनजी ऊर्जा बनाई जा रही है। एलएनजी ऊर्जा में किया जा रहा कनवर्ट, स्टील की तरह बेहद मजबूत, बांस का प्रयोग अगरबत्ती निर्माण में खिलौने, झाडू, टोकनी आदि का निर्माण, बांस फाइबर से साडिय़ां और बैग्स निर्माण

बांस को स्टील से भी मजबूत कहा जाता है। इसकी मांग दुनियाभर में है। भारतीय बांस चायना सहित अन्य देशों में एक्सपोर्ट होता है, लेकिन यह बेहद सीमित है। सरकार भी इसका उत्पादन बढ़ाने में लगी है। आइस्क्रीम की लकड़ी सहित भवन निर्माण आदि कई कार्य में इसका उपयोग होता है। यह है बांस में 100 ग्राम बांस के बीज में 60.36 ग्राम कार्बोहाईडे्रट और 265.6 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है। बताया जाता है बांस ग्रीमिनाई कुल की बहु उपयोगी घास है, जो कि भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है। मुख्यत: जातियों में बैब्यूसा, डेड्रोकेलैमस है। इसकी 24 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं।

डॉ. अजय मिश्रा बताते हैं कि बोर्ड ऑफ स्टडी ने सिलेबस तैयार कर लिया है। कल्टीवेशन ऑफ बेम्बू एंड प्रोडेक्ट डेवल्पमेंट विषय पर सिलेबस को 5 यूनिट में बांटा गया है। बांस नर्सरी एवं रोपण, रोपण प्रक्रिया, बांस की आधुनिक खेती, बांस गृह निर्माण, बांस का औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग, बांस ट्रीटमेंट, बांस फर्नीचर, बांस हस्तशिल्प जैसे यूनिट में इसे बांटा गया है। कोर्स के लिए एक्सपर्ट की सेवाएं ली जाएंगी। दुनिया में बांस की बढ़ती मांग को देखते हुए भारत सरकार ने इसे रिजर्व केटेगरी से बाहर कर दिया है। बांस की बहुउपयोगिता को लेकर इसके उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। इसे देखते हुए विवि एक्सक्लूसिव पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है, जो प्रदेश में पहला होगा। - प्रो. सुरेंद्र सिंह, डॉयरेक्टर कौशल विकास संस्थान रादुविवि
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