अयोध्या के विवादित ढांचे के नीचे मिला मंदिर उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था | NATIONAL NEWS

उज्जैन। उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या की विवादित भूमि का फैसला हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इस भूमि को भगवान श्रीराम को सौंप दिया है। अब सरकार यहां भव्य मंदिर का निर्माण करेगी। इस फैसले में जो सबसे मुख्य साक्ष्य था, वह विवादित ढांचे के नीचे मिले एक धर्मस्थल के अवशेष जो हिंदू धर्म स्थल था। सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना कि वह मंदिर था, परंतु यहाँ उपलब्ध प्राचीन ग्रंथ या बताते हैं कि वह एक मंदिर था और उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने उसे बनवाया था। राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या के और भी कई मंदिर बनवाए थे।

विक्रमादित्य ने लौटाया था अयोध्या का वैभव

प्राचीन ग्रंथों में इस बात का वर्णन किया गया है कि अयोध्या का जीर्णोद्धार उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा करवाया गया था। विक्रमादित्य के पहले अयोध्या का वैभव लगभग खत्म हो गया था। महकवि कालिदास, जो सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। उन्होंने चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के अयोध्या के जीर्णोद्धार के संबंध में लिखा है। यह भी कहा जाता है कि 57 ईस्वी पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने श्रावस्ती के बौद्ध राजा को हराकर अयोध्या को उसका पुराना वैभव लौटाया था और सभी जमीदोज हो चुके देवालयों का जीर्णोद्धार करवाय़ा था। कहा जाता है कि बाबर द्वारा 1528 में तोड़ा गया राम मंदिर सम्राट विक्रम्रादित्य ने बनवाया था।

भगवान श्रीराम का जन्म स्थल कैसे प्रमाणित हुआ

महकवि कालिदास ने रघुवंश के सोलहवें सर्ग में कुश द्वारा अयोध्या की प्रतिष्ठा पुन: स्थापित करने का उल्लेख किया गया है। इसका अर्थ यह भी निकाला जाता है कि गुप्तों की राजधानी गुप्त शासक द्वारा उज्जैन से हटाकर अयोध्या ले जाने की बात है। रामजन्मभूमी स्थान को पुराने समय में लोग यज्ञवेदी भी कहा करते थे। मान्यता है कि महाराज दशरथ ने इसी स्थान पर पुत्रेष्ठी यज्ञ का आयोजन किया था। इसलिए यज्ञवेदी को भगवान श्रीराम का जन्मस्थान माना जाता है। कहा जाता है कि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने यज्ञवेदी को फिर से यज्ञ कर पवित्र किया था।

60 राजाओं के बाद आए श्रीराम

अयोध्या को अवध और साकेत के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर कभी उत्तर कौशल राज्य की राजधानी रहा है। अयोध्या की पहचान श्रीराम से होती है। शास्त्रों के अनुसार श्रीराम से पहले अयोध्या में सूर्यवंश के 60 राजाओं ने राज किया था इसके बाद श्रीरामचंमद्रजी का अयोध्या में प्राकट्य हुआ था। अयोध्या का नाम सात मोक्षपुरियों में सबसे पहले आता है।
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