ग्वालियर। रिश्वत के दो मामले। एक चार व दूसरा पांच वर्ष पुराना। दोनों ही मामलों में दोषी पटवारियों की नौकरी पर अब गाज गिरी है। कलेक्टर ने भितरवार के रौरा में पदस्थ रहे पटवारी महेंद्र रावत और मुरार की महिला पटवारी स्वाति दुबे को बर्खास्त Patwari Mahendra Rawat and Swati Dubey dismissed ) कर दिया है।
इन दोनों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने 2014 व 2015 में नामांतरण के लिए रिश्वत मांगे जाने पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था। जून व अगस्त 2019 में पटवारियों को 3-3 वर्ष की सजा हो जाने के बाद पुलिस अधीक्षक (लोकायुक्त) ने कलेक्टर को पत्र लिखकर सूचना दी थी। इसके बाद इन्हें नोटिस जारी किए गए।भितरवार में पदस्थ महेंद्र रावत ने ग्रामीण राजेंद्र जाटव से नामांतरण करने के एवज में 1 लाख रु.की रिश्वत मांगी थी। राजेंद्र ने लोकायुक्त में शिकायत की और रिश्वत की बातचीत की रिकॉर्डिंग कर ली। हालांकि पटवारी को रिश्वत लेते हुए नहीं पकड़ा गया था। लेकिन रिकॉर्डिंग के आधार पर उसके खिलाफ 2014 प्रकरण दर्ज किया गया।
जून 2019 में रावत को विशेष न्यायालय ने आरोप प्रमाणित होने पर 3 वर्ष का सश्रम कारावास व 25 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। मुरार में पदस्थ पटवारी स्वाति दुबे ने हाकिम सिंह राठौर से नामांतरण के लिए रिपोर्ट पेश करने के लिए 8500 रुपए की रिश्वत मांगी। हाकिम ने लोकायुक्त को मामले की जानकारी दी। स्वाति को भी रिश्वत लेते हुए नहीं पकड़ा जा सका था लेकिन लोकायुक्त ने रिकॉर्डिंग के अाधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया।