भोपाल। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के 205 शिक्षक अयोग्य साबित हो चुके हैं। ये वो शिक्षक हैं जो दक्षता परीक्षा में किताब देखकर भी नकल नहीं कर पाए। साबित हो चुका है कि ये ना तो पढ़ाने के लायक हैं और ना ही पढ़ने के। शिक्षा मंत्री इन्हे वीआरएस देने का आदेश दे चुके हैं। बावजूद इसके लोक शिक्षक संचालनालय ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि एक नोटिस भी जारी नहीं किया। शिक्षा मंत्री भी विपक्षी पार्टी के विधायक की तरह चुप हैं। कोई नोटशीट नहीं चला रहे। सवाल यह है कि जब कोई कार्रवाई करना ही नहीं थी तो फिर दक्षता परीक्षा का ड्रामा ही क्यों किया गया।
मामला क्या है
इस वर्ष गणित विषय में बड़ी संख्या में छात्र फेल हो गए। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा मंत्री के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में 30 फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले साढ़े 3 हजार से अधिक शिक्षकों को चिह्नित किया। जिन्हे दक्षता परीक्षा में शामिल किया गया। इनकी पहली परीक्षा 12 जून को ली गई। इसमें उन्हें किताब देखकर परीक्षा देने की सुविधा के साथ ही 3 घंटे की जगह 3:30 घंटे का समय दिया। इसमें भी करीब 1400 शिक्षक फेल हो गए।
विभाग ने इन्हें एक और मौका देते हुए 14 अक्टूबर को दोबारा परीक्षा कराई। इसमें भोपाल समेत सभी जिलों के 80 से अधिक शिक्षक दोबारा फेल हो गए, जबकि करीब 125 ने परीक्षा ही नहीं दी। लोक शिक्षण संचालनालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों से फेल शिक्षकों की कॉपी मंगवाई। इस बीच 23 अक्टूबर को तीसरी बार परीक्षा ली। इसमें से भी 12 से अधिक शिक्षक फेल हो गए, जबकि 7 ने परीक्षा ही नहीं दी। हालांकि अब तक विभाग ने एक भी परीक्षा का परिणाम सार्वजनिक न करते हुए उसे गुप्त रखा है।