भोपाल। मध्यप्रदेश के उद्योगपति कमलनाथ सरकार की नई आरक्षण नीति से नाराज हैं। कारोबारियों का कहना है कि हमारे यहां नियुक्तियां योग्यता के आधार पर होती है जाति, धर्म, क्षेत्र, या राजनीति के आधार पर नहीं। बाजार में वैसे भी योग उम्मीदवारों की कमी है ऐसी स्थिति में जातीय क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत करने के बाद योग्यता की तलाश करना काफी मुश्किल होगा।
उद्योगों में बैकलॉग बन गया तो फिर क्या हुआ
बता दे कि मध्य प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कमलनाथ सरकार ने जो नई प्रोत्साहन योजना बनाई है, उसमें एक शर्त जोड़ दी गई है कि कारोबारियों को अपने यहां 70% पर स्थानीय उम्मीदवारों से भरने होंगे। स्थानीय 70% में भी सरकार ने जाति के आधार पर वर्गीकरण कर दिया है। उद्योग जगत इसके पक्ष में नहीं है। दरअसल, उद्योगों को प्रशिक्षित मानव संसाधन की दरकार होती है और जरूरी नहीं है कि आरक्षित वर्ग में वह व्यक्ति मिल ही जाए। ऐसे में जिस तरह सरकारी नौकरियों में बैकलॉग बरसों से चला आ रहा है, वही स्थिति उद्योगों में भी निर्मित हो सकती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ सकता है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को यह शर्त मंजूर नहीं
वृहद उद्योगों के लिए लागू उद्योग संवर्धन नीति में भी इस तरह का प्रावधान नहीं है। कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के मुहैया कराने के लिए 70 फीसदी काम स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करवाने की शर्त रखी थी। उद्योग जगत ने इसका स्वागत किया और सभी इसका पालन करने के लिए भी तैयार हैं। वहीं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने जो प्रोत्साहन योजना 2019 बनाई, उसे एक प्रावधान को छोड़कर सराहा भी गया है, क्योंकि यह दस राज्यों का अध्ययन करने के बाद बनाई गई है।इसमें अजा-अजा वर्ग और महिलाओं को प्रोत्साहित करने के प्रावधान किए गए हैं। सिर्फ योजना में स्थानीय व्यक्तियों को 70 प्रतिशत रोजगार के प्रावधान को आरक्षण से जोड़ने पर असहमति के सुर हैं। इस प्रावधान को हटाने को लेकर जल्द ही निर्णय हो सकता है।
संयुक्त मोर्चा और सपाक्स कि अपनी राजनीति
मध्य प्रदेश में वोट बैंक की राजनीति करने वाले 2 संगठन पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त संघर्ष मोर्चा एवं सपाक्स ने इस नीति की अपने अपने फायदे के हिसाब से समीक्षा की है। संयुक्त मोर्चा ने इसका स्वागत किया है, इसलिए सपाक्स मीन मेख निकालकर इसका विरोध कर रही है। हालांकि दोनों ही संगठनों के नेताओं का लक्ष्य अपनी जाति के उम्मीदवारों को नौकरी या न्याय दिलाना नहीं बल्कि अपनी जातिवाद की राजनीति चमकाए रखना ही है।
पॉलिसी अच्छी, शर्त गलत: शर्मा
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि एमएसएमई विकास नीति के तहत लाई गई प्रोत्साहन योजना अच्छी है। इसमें प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने के जो प्रावधान किए हैं वे तरीफ के काबिल हैं पर आरक्षण की शर्त लगाना गलत है। एक तरफ हम प्रदेश में उद्योग लगें, निवेश आए, उसके लिए प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के प्रावधान से उद्यमी हतोत्साहित होगा। सरकार में तो आरक्षित पद पर योग्य व्यक्ति नहीं मिलने से उसे रोककर रख लिया जाता है पर उद्योगों में यह संभव नहीं है। इससे उत्पादकता प्रभावित होगी
मंत्रीजी को नहीं पता, क्या पॉलिसी लागू हो गई
सक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री आरिफ अकील को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। जब मीडिया ने उनसे पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया मांगी तो मंत्री आरिफ अकील ने कहा कि मैं बाहर हूं और पॉलिसी देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।