भोपाल। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में 20 वर्षों से अध्यापन व्यवस्था संभालने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान दशकों से अपने भविष्य को सुनिश्चित करने और अपने लिए नियमितीकरण की नीति बनाने की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच कई सरकारें आई, और चली गयी किन्तु अतिथि बिद्वानों की बदहाल स्थिति में कोई बदलाव नही आया।
शासन और प्रशासन तक कोई सुनवाई न होने की स्थिति में अब महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए बापू की 150 वी जयंती के अवसर पर गांधीजी के सबसे शक्तिशाली अस्त्र सत्याग्रह का रास्ता चुना है। और अब अतिथि विद्वानों ने उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के ग्रह जिले इंदौर से मुख्यमंत्री निवास तक न्याय यात्रा प्रारभ की है। अतिथि विद्वान नियमितीकरण मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने अपने वचनपत्र की कंडिका 17.22 में नियितिकरण का वादा करने के बावजूद भी आज तक इस दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम नही उठाये हैं।
बल्कि सहायक प्राध्यापक परीक्षा में कथित रूप से हुए व्यापक फर्जीवाड़े की जांच करवाने के स्थान पर वह नियुक्तियां देने की तैयारी में है। ये नियुक्तियां उन पदों में की जा रही है जिनमे वर्षों से अतिथि विद्वान कार्यरत है। इन नियुक्तियों से हज़ारों अतिथि विद्वानों की रोज़ी रोटी पर संकट उत्पन्न हो गया है। परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश के अतिथि विद्वानों में बेचैनी है और अब मोर्चा ने उच्चशिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के गृह जिले इंदौर से मुख्यमंत्री निवास तक सत्याग्रह के तौर पर न्याय यात्रा निकाल रहे है।
अन्नपूर्णा मंदिर, इंदौर से प्रारंभ हुई यात्रा
अतिथि विद्वानों की न्याय पदयात्रा इंदौर के अन्नपूर्णा मंदिर से प्रारभ हो चुकी है। यात्रा की अगुवाई कर रहे अतिथि विद्वान *डॉ नगीन खेड़दे और डॉ डालूराम यादव* ने बताया कि यह यात्रा क्रमबद्ध रूप से चलते हुए इंदौर से भोपाल तक जाएगी। आज रात्रि निवास देवास नाका में होगा। 4 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे प्रारम्भ हुई इस यात्रा में लगभग 500 लोग शामिल है और जैसे जैसे यात्रा आगे बढ़ेगी बड़ी संख्या में अतिथि विद्वान इस यात्रा में शामिल होते जाएंगे।
सरकार की वादाखिलाफी से परेशान अतिथि विद्वान
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ताप्राप्ति के पूर्व सहायक प्राध्यापक परीक्षा को प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए व्यापम 2 का नाम दिया था। और वचनपत्र में अतिथि विद्वानों को नियमित करने की बात कही थी। किन्तु सरकार गठन के 10 माह बाद भी सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नही दिखाई दे रही है। परिणामस्वरूप अतिथि विद्वानों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में भोपाल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महिला अतिथि विद्वानों ने उनके नियमितीकरण के प्रति सरकार की सतत उदासीनता के कारण अपने मुंडन तक कि घोषणा कर डाली है।
अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की अब तक कोई नीति न बन पाने के विरोध में अब हमने गांधीजी के मार्ग का अनुसरण करते हुए सत्याग्रह का निर्णय लिया है और न्याय यात्रा इंदौर से प्रारंभ हुई है। यात्रा का समापन भोपाल में होगा।