इंदौर। मध्यप्रदेश में हुए हनीट्रैप मामले में गिरफ्तार की गई महिला आरोपी बरखा भटनागर सोनी का पति अमित सोनी आज मीडिया के सामने आया। उसने बरखा की गिरफ्तारी और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। अमित ने खुद और बरखा को निर्दोष बताया। अब वे इस गिरफ्तारी को लेकर लीगल एक्शन लेने की तैयारी में हैं। अमित ने श्वेता जैन की लाइफ स्टाइल पर भी सवाल उठाए। अमित सोनी ने आरोप लगाया कि श्वेजा विजय जैन उनकी पत्नी को फंसा रही है, उसने पुलिस की प्रारंभिक कार्रवाई में भी त्रुटि बताई।
मोबाइल जब्त लेकिन रिकॉर्ड में दर्ज नहीं
अमित सोनी ने कहा कि पुलिस ने उनके घर पर बिना महिला पुलिस के मां और पत्नी की उपस्थिति में तलाश की, उनका मोबाइल जब्त कर लिया जो आज तक नहीं मिला है, ना ही जब्ती में दिखाया गया है। हनीट्रैप मामले में आरोपी बरखा कांग्रेस से जुडी थी। घटना के बाद लोगों ने कांग्रेस संगठन में रहे बरखा के पति अमित सोनी से दोस्ती तोड़ना शुरू कर दिया था। जैसे ही बरखा का नाम सामने आया था, उसके बाद कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इन्हें अनफ्रेंड कर दिया था।
कांग्रेस ने बताया: अमित हमारा पदाधिकारी नहीं
कांग्रेस ने फरवरी में अमित सोनी को आईटी सेल व सोशल मीडिया सेल का प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। कांग्रेस कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार अमित खुद को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताकर कांग्रेस नेताओं से मिला था। तकनीकी पृष्ठभूमि के कारण उसे कांग्रेस ने फरवरी में नियुक्ति दी थी। हालांकि विवाद सामने आने के बाद कांग्रेस की ओर से एक पत्र जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि सोनी को महज चार महीने बाद जून में ही पद से हटा दिया गया था।
बरखा अक्सर कांग्रेस नेताओं के घर आती जाती थी
इसके बाद यह बात सामने आई थी कि गलत ट्वीट करने के कारण संगठन ने उसका पद छीना था। यह बात भी सामने आई थी कि अमित की पत्नी बरखा कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के दफ्तर पर अक्सर नजर आती थी। बरखा ने इन नेताओं के स्टाफ से भी अच्छी खासी पहचान कर ली थी।
हां कई मंत्रियों से संबंध थे
अमित सोनी ने स्वीकार किया कि उनकी पत्नी के कई हाई प्रोफाइल लोगों और मंत्रियों से संबंध थे परंतु यह भी कहा कि बरखा ने कभी इसका कोई फायदा नहीं उठाया। गौरतलब है कि हनीट्रैप मामले में बार-बार जांच टीम बदले जाने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई है, जिसमें मांग की गई है कि केस की जांच सीबीआई या किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से कराई जाए। अभी इस मामले में जो भी अधिकारी जांच कर हरे हैं वो सभी मध्यप्रदेश सरकार के अधीन हैं। बार-बार अधिकारियों के बदले जाने से गड़बड़ी की आशंका है।