शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन में समस्या क्या है, खुलकर बताएं | Khula Khat @ mp shiksha vibhag

मध्यप्रदेश में शिक्षक संवर्ग एवं अन्य कर्मचारियों को नियुक्ति के बाद लंबे सेवाकाल तक शासन नियमानुसार पदोन्नति नहीं देता है । इस एवज में सेवाकाल के आधार पर शिक्षक संवर्ग को 12 वर्ष पर वरिष्ठ, 24 वर्ष पर द्वितीय व 30 वर्ष पर तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान एवं अन्य कर्मचारियों को 10, 20 व 30 वर्ष सेवाकाल पूर्ण होने पर प्रथम, द्वितीय व तृतीय समयमान वेतनमान दिया जा रहा है। 

उक्तानुसार शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतनमान तो दे दिये लेकिन 30 वर्ष से अधिक सेवाकाल होने पर शिक्षकों को पदोन्नति नहीं दी गई, तो पदनाम तो दिया ही जा सकता था, इससे शासन पर कोई आर्थिक भार भी नहीं आ रहा हैं। विडम्बना है कि सत्ताधारी दल इसे तीन माह में दिलाने का वचन साल-भर बाद तक पूर्व मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान अपने संपूर्ण कार्यकाल में तमाम कोशिशों के बावजूद शिक्षकों को पदनाम नहीं दे सके हैं। दुखद पहलू यह है कि 40 वर्ष से अधिक सेवाकाल होने पर "शिक्षक बगैर पदोन्नति" के सेवानिवृत्त हो रहे है यह शिक्षा विभाग पर "काला धब्बा" हैं। 

शिक्षकों से जुड़े सभी संगठन, समग्र के साथी व श्री मुरारी लाल सोनी प्रांतीय अध्यक्ष शिक्षा प्रकोष्ठ राज्य कर्मचारी संघ ने  एकाधिक बार आंदोलन कर शासन का ध्यान आकृष्ट कर चुके है, व अभी भी प्रयासरत हैं। लगता है प्रदेश में राजनीतिक दलों के चुनिंदा प्रतिनिधि नहीं, आयएस अधिकारी सत्ता पर काबिज हैं; इनके उपेक्षा पूर्ण रवैये से मामला टाला जा रहा हैं । मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ मांग करता है कि प्रदेश के सामान्य प्रशासन व शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को चाहिए कि पदनाम जैसी अनार्थिक मांग में तकनीकी परेशानी क्या है ? इसे सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करते हुए समाधान का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए, ताकि कमलनाथ सरकार "वचन" पालन करने के साथ शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांग अविलंब पूर्ण हो सके ।
लेखक कन्हैयालाल लक्षकार, मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष हैं। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !