कन्‍या पूजन तथा कंजक पूजन की विधि व तिथि | KANYA OR KANJAK POOJAN KI TITHI OR VIDHI

भोपाल। नवरात्रि में अष्‍टमी और नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को पूजने की परंपरा है. इसे कन्‍जक पूजन भी कहते हैं. कहा जाता है कि इससे आदि शक्‍त‍ि प्रसन्‍न होती हैं. कुंवारी कन्‍याओं को नौ देवियों का स्‍वरूप माना जाता है, इसलिये मां को प्रसन्‍न करने के लिये भक्‍त अष्‍टमी और नवमी के दिन मां के नौ स्‍वरूपों के लिये, नौ कन्‍याओं की पूजा करते हैं और उन्‍हें भोजन कराते हैं. 

इसी से भक्‍त का नवरात्रि का व्रत पूरा होता है. अष्‍टमी या नवमी के दिन कन्‍या पूजन के बाद प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही नवरात्रि का व्रत खोला जाता है. कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराने के बाद उन्‍हें दक्ष‍िणा भी दी जाती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से माता रानी आर्थ‍िक सुदृढ़ता का वरदान देती हैं और मां अपनी असीम कृपा प्रदान करती हैं. इस दिन दो साल से लेकर 10 साल की बच्चियों की पूजा की जाती है. बता दें क‍ि इस साल कन्‍या पूजन 6 और 7 अक्‍टूबर को होगा. अष्‍टमी के दि‍न कन्‍या पूजन करने वाले जातक 6 अक्‍टूबर को और नवमी के द‍िन कन्‍या पूजने वाले भक्‍त 7 अक्‍टूबर को व‍िध‍ि पूर्वक यह पूजन समपन्‍न कर सकते हैं.

Kanya Puja and Kanjak Puja 2019: इन नियमों और विधि से करें कन्‍या पूजन

1. कन्‍या पूजन से एक दिन पहले कन्‍याओं को आमंत्रित करें. कन्‍याओं को तलाशने की गलती ना करें.


2. कन्‍या पूजन के लिये कन्‍याओं के पैर अपने पुत्र से धुलवाएं. इससे उनके अंदर नारी जाति के लिये सम्‍मान बढ़ेगा.
3. इसके बाद कन्‍याओं के माथे पर कुमकुम, अक्षत और फूल लगाएं.
4. इसके बाद उन्‍हें आसन पर बिठाएं.
5. घर में उपलब्‍ध शुद्ध सामग्री से भोजन बनाएं और माता को भोग लगाने के बाद, कन्‍याओं को प्रसाद दें.
6. अपनी क्षमता के अनुसार कन्‍याओं को दक्ष‍िणा या उपहार दें;
7. पैर छूकर उनसे आशीष लें.

Kanya Puja and Kanjak Puja SAMGRI | कन्‍या पूजन तथा कंजक पूजन सामग्री

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