यदि आप हिंदू समुदाय से हैं और भगवान की नियमित पूजा करते हैं तो आपको याद रखना होगा कि शास्त्रों में पंचदेव पूजन के लिए नियम एवं विधि का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार यदि आप पूजन विधि का पालन नहीं करते तो आपकी पूजा निष्फल हो जाती है। देवता नियम विरुद्ध पूजा को ग्रहण नहीं करते। आइए हम बताते हैं पंचदेव पूजन के लिए
सूर्य, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। सुख की इच्छा रखने वाले हर मनुष्य को प्रतिदिन इन पांचों देवों की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
शिवजी की पूजा में केतकी के फूल वर्जित है।
सूर्य की पूजा में अगस्त्य के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए।
भगवान श्रीगणेश की पूजा में तुलसी के पत्ते वर्जित माने गए हैं।
स्नान करने के बाद ही पूजन के लिए फूल तोड़ना चाहिए।
पूजन में अनामिका से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
शुद्ध घी का दीपक अपनी बाईं ओर तथा तेल का दीपक दाईं ओर रखना चाहिए।
पूजन में देवताओं को धूप, दीप अवश्य दिखाना चाहिए तथा नेवैद्य (भोग) भी जरूर होना चाहिए।
दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाएं।
कभी भी बासी जल, फूल और पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए।
गंगाजल, तुलसी के पत्ते, बिल्वपत्र और कमल, ये चारों किसी भी अवस्था में बासी नहीं होते।
भगवान सूर्य की सात, श्रीगणेश की तीन, विष्णु की चार और शिव की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
पूजन-स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें।
पूजन-स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें।
शिवपुराण के अनुसार श्रीगणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है, वह बारह अंगुल लंबी और तीन गांठों वाली होना चाहिए।
ऐसी 101 या 121 दूर्वा से श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए।
विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी वस्त्र अर्पित करना चाहिए।
दुर्गा, सूर्य व श्रीगणेश को प्रसन्ना करने के लिए लाल रंग के वस्त्र अर्पित करना चाहिए।