GWALIOR में 5 संचालनालय थे, 1 ​भोपाल शिफ्ट किया जा रहा है

ग्वालियर। मध्य प्रदेश राज्य के गठन के समय 1956 में ग्वालियर को जब शामिल किया गया तो इसे पांच संचालनालय दिए गए थे लेकिन नौकरशाह चाहते हैं कि सभी विभागों के संचालनालय भोपाल में हूं यही कारण है कि 5 में से 1 संचालनालय को भोपाल शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है, संचालनालय स्थानीय निधि संपरीक्षा (लोकल फंड एवं ऑडिट) का मुख्यालय तो ग्वालियर में है लेकिन इसके सारे काम भोपाल स्थित प्रकोष्ठ कार्यालय से होते हैं, अब तो स्थिति यह है कि पोस्ट कार्यालय से जारी होने वाले पत्रों में प्रकोष्ठ कार्यालय को ही संचालनालय बताया जा रहा है।

लोकल फंड एवं ऑडिट मुख्यालय ग्वालियर में वर्तमान में एक सीनियर ऑडिटर, तीन असिस्टेंट ऑडिटर समेत 10 कर्मचारियों का स्टाफ है। डायरेक्टर संध्या श्रीवास्तव के अलावा एक एडिशनल डायरेक्टर, दो ज्वॉइंट डायरेक्टर, एक डिप्टी डायरेक्टर, पांच सीनियर ऑडिटर सहित 110 कर्मचारी भोपाल में बैठते हैं। ऐसे में सभी आदेश-निर्देश भोपाल से ही जारी किए जाते हैं। इस मामले में प्रदेश के वित्त मंत्री तरुण भनोट सहित ग्वालियर से विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री लाखन सिंह, विधायक मुन्नालाल गोयल, प्रवीण पाठक का कहना है कि हम किसी भी हाल में लोकल फंड का ऑफिस भोपाल शिफ्ट नहीं होने देंगे। ग्वालियर स्थित लोकल फंड एंड ऑडिट कार्यालय का प्रकोष्ठ ऑफिस भोपाल में संचालित होने से लोगों को विभागीय कार्य के लिए भोपाल के चक्कर लगाने पड़ते हैं। सभी प्रमुख अधकारी वहीं बैठते हैं, इस कारण ग्वालियर कार्यालय में आए आवेदनों को भी कार्रवाई के लिए भोपाल भेजा जाता है। ग्वालियर के कर्मचारी डाक लेकर आए दिन राजधानी के प्रकोष्ठ ऑफिस में आते हैं।

शिफ्ट नहीं कर सकते

मप्र के गठन के समय ग्वालियर को लोकल फंड एंड ऑडिट, रेवेन्यू बोर्ड, प्रदेश परिवहन आयुक्त कार्यालय, आबकारी आयुक्त कार्यालय और आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त सहित पांच ऑफिस मिले थे। बंटवारे के अधिनियम 1956 के तहत किसी भी मुख्यालय को शिफ्ट नहीं किया जा सकता, जबकि इस धारा में बदलाव के लिए कैबिनेट की मंजूरी चाहिए।

यह है लोकल फंड का काम

लोकल फंड का काम प्राधिकरण, मंडी, नगर पालिका, यूनिवर्सिटी, ग्राम पंचायत, जिला पंचायत, जनपद पंचायत और जितने भी अनुदानित कॉलेज और स्कूल हैं, उनका ऑडिट करना है। प्रदेश में लोकल फंड ऑडिट में एक हजार से अधिक अिधकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं।

हाईकोर्ट ने भी दिया फैसला

मप्र गठन के समय जबलपुर को मिले कौशल विकास संचालनालय के मुख्यालय को अधिकारियों ने भोपाल शिफ्ट कर दिया था। कर्मचारी संगठन इसके विरोध में हाईकोर्ट चले गए। कर्मचारियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने मुख्यालय को जबलपुर में ही रखने का आदेश दिया।

मैं भोपाल स्थित प्रकोष्ठ को ही समाप्त कर रहा हूं: वित्त मंत्री

तरुण भनोट, वित्त मंत्री, मध्यप्रदेश शासन का कहना है कि लोकल फंड का ऑफिस भोपाल में शिफ्ट नहीं किया गया है। मैंने तो भोपाल वाला ऑफिस ग्वालियर ले जाने के लिए नोटशीट लिखी थी। लगता है कुछ अधिकारियों ने उसे दबा दिया। लोकल फंड एंड ऑडिट का मुख्यालय ग्वालियर में ही रहेगा। ग्वालियर वासियों को उसका फायदा मिलेगा। एक महीने के अंदर आपको सभी अधिकारी ग्वालियर में बैठे दिखाई देंगेे। मैं प्रकोष्ठ को ही समाप्त कर रहा हूं।

हम जारी आदेश का पालन करेंगे

वित्त विभाग से कोई नोटशीट या पत्र जारी होने की मुझे जानकारी नहीं है। भोपाल में प्रकोष्ठ के नाम पर ही ऑफिस चल रहा है। मेरी जानकारी के मुताबिक अब तक तो लोकल फंड एवं ऑडिट का मुख्यालय ग्वालियर में ही है। आगे शासन जो भी आदेश जारी करेगा, हम उसका पालन करेंगे। संध्या श्रीवास्तव, डायरेक्टर, लोकल फंड एवं ऑडिट मप्र

न्यायालय का सहारा

बंटवारे के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों को मिले प्रदेश मुख्यालयों को स्थानांतरित नहीं कर सकते। हाल ही में जबलपुर हाईकोर्ट ने भी ऐसा आदेश पारित किया है। अगर 15 दिन के अंदर लोकल फंड का ऑफिस ग्वालियर शिफ्ट नहीं किया तो हम न्यायालय का सहारा लेंगे। 
पवन भटनागर, प्रदेश उपाध्यक्ष मप्र राज्य कर्मचारी संघ

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