भोपाल। चुनाव जीते ही मंत्री जयवर्धन सिंह ने भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर को शहर के लिए हानिकारक बताते हुए उसे हटाने का ऐलान कर दिया था। तीसरे ही दिन मंत्री जी की इंजीनियरिंग घटिया साबित हुई। अब सरकार विशेषज्ञों की टीम बुलाकर यह पता लगाएगी कि बीआरटीएस कॉरिडोर में कहां गड़बड़ी है और उसे किस तरह ठीक किया जाना है। इसके लिए विशेषज्ञों को ₹600000 फीस दी जाए। मजेदार बात यह है कि यह रकम सरकारी खजाने से चुकाई जाएगी जिसने बीआरटीएस कॉरिडोर का प्लान बनाया था उससे अठन्नी भी नहीं ली जाएगी।
पहले बयान दिया फिर सर्वे के लिए बुला लिया
दरअसल सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार को नियम बंद करने के लिए कई तरीके नुस्खे निकालिए गए हैं। पहले नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह एक बयान देते हैं उस बयान के आधार पर नई तरह से सर्वे किए जाने की आवश्यकता पैदा हो जाती है। सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली (सीआरआरआई) के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एस. वेलुमुरुगन और उनकी टीम को भोपाल आमंत्रित किया जाता है यह जानने के लिए कि मंत्री जी जो बयान दे रहे हैं वह सही है या नहीं। वेलुमुरुगन बताते हैं कि मंत्री जी का बयान गलत है लेकिन बीआरटीएस कॉरिडोर में कुछ सुधार की गुंजाइश है। अब कहां गड़बड़ी है और सुधार कैसे किया जाता है यह जानने के लिए सरकार ₹600000 खर्च करेगी। डॉ. वेलुमुरुगन 42 लाख रुपए एडवांस मांगे हैं और सरकार खाली खजाने में से उनको ₹42 का एडवांस देने की तैयारी कर रही है।
जिसने BRTS कॉरिडोर की DPR बनाई उससे भी तो सवाल कर लो
साइंटिस्ट डॉ. एस. वेलुमुरुगन भोपाल की टीम ने बीआरटीएस कॉरिडोर के प्लान को रिजेक्ट किया है। यदि सर्वे रिपोर्ट को सही माने तो फिर डीपीआर गलत है। BRTS कॉरिडोर को दुरुस्त कराया जाना जरूरी है, लेकिन इतना ही जरूरी यह भी है कि जिस इंजीनियर या इंजीनियर की टीम ने डीपीआर बनाई थी उसे दंडित किया जाए। कम से कम इतना तो किया ही जाना चाहिए कि यदि सर्वे रिपोर्ट के लिए ₹600000 खर्च किए जा रहे हैं तो डीपीआर पर खर्च किए गए पैसे वापस ले लिया जाए।
माफी तो मंत्री जी को भी मांगनी चाहिए
मंत्री जयवर्धन सिंह इंजीनियर नहीं है परंतु फिर भी उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग के मामलों में चुनौतीपूर्ण बयान दिए। उनके बयान के कारण सर्वे की स्थिति उत्पन्न हुई और यह हालात बने। उन्होंने भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर को घटिया तो करार दे दिया लेकिन इसे बनाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एक सिग्नेचर तक नहीं किया। आज खाली हो चुके सरकारी खजाने से ₹600000 का भुगतान किया जाना है, केवल इसलिए क्योंकि मंत्री जी ने एक बयान दे दिया था। माफी तो मंत्री जी को भी मांगनी चाहिए।