धनतेरस 2019: पूजा की विधि एवं शुभ मुहूर्त | DHANTERAS PUJA VIDHI OR SHUBH MUHURT

नई दिल्ली। धनतेरस (Dhanteras) कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (Kartik Maas Trayodashi) तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। अमृत मंथन के दौरान ओषधि लाने वाले भगवान धन्वंतरी आरोग्यता साथ लाने वाले धनवंतरी भगवान को आज साक्षात हम किसी डॉक्टर में देख सकते है।

धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। 

धनतेरस / भगवान धनवन्तरि पूजा का शुभ मुहर्त | Auspicious time for Dhanteras  / Bhagwan Dhanvantari worship

इस साल धनतेरस का त्योहार तिथि 25 अक्टूबर, 2019 यानी शुक्रवार को पड़ रही है। धनतेरस का शुभ मुहुर्त 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 26 अक्टूबर, 2019 को दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो रहा है। इसका मतलब इस बार धनतेरस दो दिन पड़ रही है और आपके पास खरीदारी के लिए भी दो दिन का समय है। अच्छे लाभ के लिए आप इसी मुहुर्त में खरीदारी करें।

धनतेरस / भगवान धनवन्तरि पूजन मंत्र | Dhanteras Bhagwan Dhanvantari Ki  Poojan Mantra  

धनतेरस पर भगवान धनवन्तरि की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। इसके साथ ही अगर आप मंत्र का भी जाप करेंगे तो ये आपके लिए और भी ज्यादा फलदायी होगा। इस बार पूजा में  "ओम धन्वंतरये नमः॥" मंत्र का जाप जरूर करें।

धनतेरस/ भगवान धनवन्तरि की पूजन विधि | Dhanteras Par Bhagwan Dhanvantari Ki Poojan Vidhi

1.धनतेरस के दिन घर के पूर्व दिशा या घर के मंदिर के पास साफ सुथरी जगह पर गंगा जल का छिड़काव करें। 2.इसके बाद एक लकड़ी के पीढे पर रोली के माध्यम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं उसके पश्चात एक मिट्टी के दीए को उस पीढे पर रखकर प्रज्जवलित करें। 
3. इसके बाद दिए के आसपास तीन बारी गंगाजल का छिड़काव करें और दिए पर रोली का तिलक लगाएं 

4.उसके पश्चात तिलक पर चावल रखें इसके पश्चात एक रुपए का सिक्का दिए में डालें।
5.इसके बाद दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित कर दिए को प्रणाम करें। 
6.इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं अब उस दिए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें उसे दाहिने और रखे तथा ध्यान दें की दिए की लौं दक्षिण दिशा की तरफ हो 

7. इसके पश्चात यम देव की पूजा हेतु मिट्टी का दीया जलाएं तथा भगवान धनवंतरी की पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठकर धनवंतरी मंत्र ओम धन धनवंतरी नमः मंत्र का 108 बार यथासंभव जप करें। 
8. इसके बाद ध्यान लगाकर यह धनवंतरी देवता मैं यह मंत्र का उच्चारण आपके चरणों में अर्पित करता हूं 
9. धनवंतरी पूजा के पश्चात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करने अनिवार्य है भगवान श्री गणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिट्टी के दीए प्रज्वलित करें तथा उनकी पूजा करें। 

10.भगवान गणेश माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढ़ाएं तथा मिठाईयों का भोग लगाएं
11.इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में घर की तिजोरी में दीपक जलाकर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए ध्यान करते हुए भगवान कुबेर को फूल चढ़ाएं तथा उनका ध्यान लगाकर आह्वान करें। 
12. हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले आभा वाले दोनों हाथों में गदा धारण करनेवाले सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले भगवान शिव के प्रिय मित्र का में ध्यान करता हूं 

13.इसके पश्चात धूप दीप नैवेद्य से पूजन करके इस मंत्र का उच्चारण करें यक्षाय कुबेराय है वैष्णवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देही दापय स्वाहा। 
14. इसके पश्चात धान गेहूं उड़द चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है पूजन सामग्री में विशेष रूप से पुष्पा के पुष्प का प्रयोग करना उचित हैं। 
15.इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए के सफेद मिष्ठान का प्रयोग करें जिससे आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है
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