भोपाल। मध्य प्रदेश का प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) पूरी तरह से खटारा हो चुका है। हालात यह हैं कि उम्मीदवारों को परीक्षा परिणाम जारी करने के लिए प्रदर्शन करने पड़ रहे हैं। सोमवार को माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के रिजल्ट घोषित करवाने के लिए उम्मीदवारों ने प्रदर्शन किया और परीक्षा नियंत्रक को मांग पत्र सौंपा। परीक्षा आयोजित कराने वाली किसी भी ऐजेंसी के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता परंतु व्यापमं के बाद अब शायद घोटालों को फुलप्रूफ किया जा रहा है, इसलिए परीक्षा परिणामों में इतनी देरी होती है।
45 दिन में परीक्षा परिणाम घोषित करने का नियम है
माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा स्कूल शिक्षा विभाग के 5670 पदों के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन रिजल्ट के लिए छात्र लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि पीईबी यह रिजल्ट नियमानुसार परीक्षा होने की तारीख से 45 दिन में घोषित कर देने थे। अधिकारी पहले चुनाव की आचार संहित का बहाना बनाते रहे, लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है। बिना वजह रिजल्ट रोके जा रहे हैं। बार-बार पीईबी के चक्कर काटते हैं। इसके बाद भी कोई सही जवाब नहीं मिलता।
परीक्षा परिणाम के लिए ज्ञापन दिया
उम्मीदवार रंजीत गौर ने बताया कि परीक्षा 16 फरवरी 2018 से शुरू होकर 10 मार्च तक 2018 तक चली थी, लेकिन अब तक रिजल्ट घोषित नहीं हो सके। इसलिए एक बार फिर परीक्षा नियंत्रक प्रो. एकेएस भदौरिया को संयुक्त रूप से मांग पत्र सौंपा है।
देरी के 2 ही कारण होते हैं, या तो मक्कार है या भ्रष्टाचार है
सरकारी प्रक्रियाओं में किसी भी चीज की देरी के सिर्फ 2 ही कारण होते हैं। जिम्मेदार व्यक्ति या तो मक्कार है या फिर मामले में भ्रष्टाचार है। एक क्लर्क भी फाइल को दबाकर इसलिए बैठता है क्योंकि वहां भ्रष्टाचार है। व्यापमं घोटाला के बाद यह तो कतई नहीं कहा जा सकता कि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड में मौजूद अधिकारी पूरी तरह से ईमानदार हैं। हां इतना संदेह जरूर किया जा सकता है कि व्यापमं घोटाले से सबक लेकर अब कुछ इस तरह का घोटाला किया जा रहा है कि काम भी हो जाए और जांच में पकड़ भी ना आए।