नई दिल्ली। हर साल गणेश चतुर्थी पर बप्पा के भक्त उन्हें अपने घर में बैठाकर अनंत चतुर्दशी के दिन विदा कर देते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है। दस दिन बाद गणपति के भक्त खुशहाली की कामना करते हुए 'गणपति बाप्पा मोरया, अबके बरस तू जल्दी आ' कहते हुए गणेश जी को प्यार से अपने घर से विदा कर देते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरी श्रद्धा के साथ मनाने से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं गणेश जी की पूजा-अर्चना ही नहीं गणपति विसर्जन का भी एक शुभ मुहूर्त और कुछ नियम होते हैं। जिसका पालन करने पर सालभर गणेश जी की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।
गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त / Ganpati Visarjan ka Shubh Muhurt
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर गुरुवार के दिन है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है। यूं तो इस दिन कभी भी किसी भी समय गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता है लेकिन विद्वानों के अनुसार, इस बार सुबह 6 से 7 बजे और दोपहर 1:30 से 3 बजे तक का समय प्रतिमा विसर्जन के लिए ठीक नहीं है। इसके अलावा आप किसी भी समय विसर्जन कर सकते हैं.
गणपति विसर्जन की पूजा विधि / Ganpati Visarjan ki Puja Vidhi
विसर्जन के दिन परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ मिलकर आरती करनी चाहिए। आरती में गणपति को 5 चीजें- दीप, फूल, धूप, सुगंध और नैवेद्य आदि चढ़ाए जाते हैं। आरती करने के बाद भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों के बीच बांट दिया जाता है। आरती और प्रसाद के बाद परिवार का एक सदस्य एकदम धीरे-धीरे गणपति की मूर्ति को थोड़ा आगे बढ़ाता है। ऐसा घर से निकलने के 5 से 10 मिनट पहले किया जाता है। ऐसा करना गणपति को इशारा करता है कि अब विसर्जन का समय आ गया है।