सीधी। अतिथि शिक्षक अब अपनी मागों को लेकर आज शाम को तिरंगा न्याययात्रा के लिये रवाना होंगे। अतिथि शिक्षकों ने ज्ञापन में अपनी मुख्य मांगों को लेकर सरकार को अल्टीमेटम भी दिया गया था कि 2 सितंबर 2019 तक सरकार यदि हमारी मुख्य मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती है, तो 4 और 5 सितंबर को सीहोर से भोपाल तक प्रांत व्यापी आक्रोश रैली के साथ प्रदर्शन कर सरकार की दोगली नीतियों का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
जिला अध्यक्ष रविकांत गुप्ता ने कहा कि इस सरकार के भी वही हाल-बेहाल करने सड़कों पर उतरने को विवश हो जायेंगे, जो विधान सभा चुनाव के दो साल पहले से बीजेपी सरकार की शोषणकारी नीतियों के खिलाफ किये गये थे। सरकार पर यह भी आरोप लगाया गया है, कि संपूर्ण प्रदेश के अतिथि शिक्षक इस समय भारी संकटों के दौर से गुजर रहे हैं।कई स्थानों पर तो सालों से मानदेय का भुगतान नहीं कराया जा सका है।
उदाहरण के रूप में जिले के ही कुसमी विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्कूलों के अतिथि शिक्षकों को 2019 से बढ़ा हुआ मानदेय का भुगतान नहीं कराया गया है। पर साल के आधे समय का रोजगार ही सही ,वर्षों से कार्यानुभवी हो चुके अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हर शिक्षा सत्र में लाना पूर्णतः गलत है।इससे आज कल के सेमेस्टर पद्दति से पास प्रतिभागियों की बराबरी मैरिट युक्त शैक्षिक योग्यता में पहले से काम कर रहे लोग नहीं कर सकते। नये आवेदकों का रजिस्ट्रेशन के नियम लागू कर दिये गये। ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया लाई गई।
एक शाला एक परिसर नियम का प्रयोग किया गया। शिक्षकों की अतिशेष नीति, ट्रांसफर नीति, इत्यादि तमाम प्रकार की अतिथि शिक्षक विरोधी नीतियों को लागू कर राजनेता और विभागीय अधिकारी अपना घर भरते जा रहे हैं। वर्षों से अत्यंत कम मानदेय पर स्कूलों में सेवा देते आ रहे अतिथि शिक्षक इन तमाम जानलेवा नीतियों के लागू होते रहने के दुष्परिणाम स्वरूप काम से बाहर होते जा रहे हैं।
यह सारी प्रयोगात्मक नीतियों के लागू किये जाने के पीछे शासन-प्रशासन की सोच गरीब विरोधी है। इन तमाम प्रयोगों के चलते स्कूलों की पढ़ाई बाधित होते चली आ रही है। बच्चों की नींव कमजोर होते चली जा रही है।वैसे भी शिक्षकों की कमी दशकों से चली आ रही है।आज नवीन सत्र चालू हुए साढ़े तीन माह बीत चुके हैं , फिर भी स्कूलों में प्रर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था बनाने में सरकार विफल रही है।
निजीकरण को बढ़ावा दे रही सरकार
विगत दशकों से गरीब और मध्यम वर्ग का परिवार सरकार के यही नखरे झेलते आ रहा है।इस तरह सरकारी स्कूलों की पढ़ाई व्यवस्थाओं को कमजोर कर स्कूलों को बदनाम करते हुए प्रायवेट स्कूलों को बढ़ावा देते हुए निजीकरण का रास्ता साफ करने की चाल चली जा रही है। गरीब और मध्यम वर्ग के लिए रामबांण साबित सरकारी स्कूलों को साजिश के तहत् खत्म करने का काम अंदर ही अंदर चलाया जा रहा है।अतिथि शिक्षक संगठन को कमजोर करने के लिए भी तरह तरह की साज़िश रची जा रही है।
सरकार जानती है कि अभी अभी भर्ती हुए अतिथि शिक्षकों को संगठित होने में वर्षों बीत जायेंगे,तब तक सरकार का यह पंचवर्षीय काल भी पूरा हो जायेगा।कम खर्च में स्कूलों का काम चलता रहेगा।अत्यंत कम मानदेय पर वह भी किसी भी समय बेरोजगार कर दिये जाने की नीति से पीड़ित प्रदेश के दर्जनों अतिथि शिक्षक तकलीफों को सहन ना कर पाने के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर होते आ रहे हैं । या फिर अनायास ही ह्रदय घात जैसे आ जाने के कारण दर्जनों लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इस तरह अतिथि शिक्षकों पर बढ़ते जा रहे मौत के खतरे के लिए भी सरकार ही दोषी है।सरकार इस सब के बाद भी अपनी जवाबदारी नहीं समझ रही है।
समिति बनाकर सरकार कर रही दिखावा
अतिथि शिक्षको ने यह भी आरोप लगाया है कि नियमितीकरण के नियम बनाये जाने छः सदस्यों की समिति भी शासन स्तर पर छः महीने पहले गठित करने का कोरा दिखावा किया गया है।इस समिति के द्वारा अतिथि शिक्षकों के हित में अब तक कोई भी काम नहीं किये जा सके हैं। नई सरकार के संबंधित मंत्रियों के साथ अतिथि शिक्षक संगठन की दर्जनों बैठकें भी अब तक हो चुकीं, परंतु अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर अब तक कोई रुचि नहीं ली गई है।इस तरह से ठोस निर्णय अभी तक सरकार के द्वारा नहीं लिये गए हैं।।
जिला शिक्षा अधिकारी को देखे सामूहिक अवकाश का आवेदन
अतिथि शिक्षक संघ सीधी की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी सीधी को 4 और 5 सितम्बर के लिये अतिथि शिक्षकों के समूहिक अवकाश का लिखित आवेदन आज जिला पदाधिकारीओ द्वारा दिया जायेगा। कुछ जिले के कुछ अतिथि शिक्षक आज तिरंगा यात्रा मे शामिल होने सिहोर जायेगे तो कुछ अतिथि शिक्षक भोपाल आन्दोलन हेतु कल रवाना होगे। अतः अतिथि शिक्षक संघ जिले के अतिथि शिक्षको से अधिक से अधिक संख्या मे तिरंगा यात्रा व भोपाल आन्दोलन मे शामिल होने का आग्रह करता है।