भोपाल। राजधानी के सबसे प्रसिद्ध बिल्डर्स में से एक हेमंत सोनी और राजीव सोनी (HEMANT SONI - RAJEEV SONI) जो AAKRITI GROUP एवं Ag8 Ventures Ltd के मालिक के रूप में जाने जाते हैं, को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं कि वो सीनियर सिटिजन्स होम्स के रहवासियों द्वारा बनाए नेस्ट ट्रस्ट के खाते में एक माह के भीतर 75 लाख जमा। बता दें कि बिल्डर ने रिटायर्ड एवं बुजुर्ग लोगों के लिए AAKRITI ECO CITY PROJECT शुरू किया था। आरोप है कि ट्रस्ट के नाम पर 2.38 करोड़ रुपए वसूले गए लेकिन कंपनी के खाते में जमा कर लिए गए।
हाईकोर्ट में क्या हुआ
मप्र हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करने के बाद आदेशित किया कि बिल्डर को सीनियर सिटिजन्स होम्स के रहवासियों द्वारा बनाए नेस्ट ट्रस्ट के खाते में एक माह के भीतर 75 लाख जमा कराने होंगे। कोर्ट ने एसडीएम के उस आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी जिसमें बिल्डर को ट्रस्ट के खाते में 1 करोड़ 94 लाख रुपए जमा कराने कहा था। कोर्ट ने कहा कि अगर बिल्डर उक्त राशि जमा नहीं कराता तो यह अंतरिम रोक वापस ले ली जाएगी।
निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त
जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए इस मामले को सुनेंगे और अंतिम फैसला भी देंगे। हाईकोर्ट ने मामले की जांच और ट्रस्ट की गतिविधियों पर निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की बात कही। कोर्ट ने बिल्डर सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
ट्रस्ट के नाम पर 2.38 करोड़ वसूले और कंपनी में जमा कर लिए
भोपाल में 2010 में आकृति ईको बिल्डर के हेमंत सोनी और राजीव सोनी ने सीनियर सिटीजंस के लिए आकृति ईको सिटी प्रोजेक्ट बनाया था। इसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए सभी सुविधाएं देने का प्रावधान था। इस पर भरोसा करते हुए हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस वीके अग्रवाल, ऊषा शुक्ला, पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम सहित कई वरिष्ठ नागरिकों ने इसमें मकान बुक किए। ट्रस्ट के लिए सोसायटी में रहने वालों से 2 करोड़ 38 लाख रुपए वसूल किए, लेकिन बिल्डर ने पैसे ट्रस्ट में जमा न करके कंपनी फंड में जमा कर दिए।
हेमंत और राजीव सोनी ने एसडीएम कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी
इस मामले में रहवासियों ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भरण-पोषण अधिनियम के तहत तहसील की एसडीएम कोर्ट में प्रकरण पेश किया। एसडीएम ने 28 अगस्त को बिल्डर को 6 दिन के भीतर 1 करोड़ 94 लाख रुपए ब्याज सहित वापस करने के निर्देश दिए। बिल्डर ने एसडीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।