मप्र में बारिश से: 7 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद, 10 हजार करोड़ की संपत्ति तबाह | MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश के 32 जिले मूसलाधार बारिश या विभिन्न सरकारी संरचनाओं जैसे बांध, नहर, बरसाती नाले इत्यादि के कारण आई बाढ़ की चपेट आ चुके हैं। सरकारी सर्वे जारी है परंतु एक पूर्वानुमान के अनुसार करीब 7 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं हैं जबकि 10 हजार करोड़ की संपत्ति तबाह हो गई। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है। कमलनाथ सरकार इस मामले में अब नरेंद्र मोदी सरकार से मदद मांगने की तैयारी कर रही है। 

सभी कलेक्टर्स ने रिपोर्ट भेज दी है

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सभी 32 जिलों से मिल रहीं सूचनाओं को समायोजित कर रहे सरकारी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में सात लाख हेक्टेयर में बोई खरीफ फसलें प्रभावित हो गई हैं। मौसम खुलने के बाद सर्वे होने पर यह रकबा और बढ़ा सकता है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश के सभी कलेक्टर्स ने राजस्व विभाग को प्रारंभिक रिपोर्ट भेजी दी है, रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में छह से सात लाख हेक्टेयर रकबे सोयाबीन, मूंग, उड़द और सब्जी फसलें बर्बाद हो गई है। फसलें पानी में कई दिनों से डूबी है।

जिन किसानों ने फसल विविधता अपनाई उन्हे कम नुक्सान हुआ

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मूंग, उड़द और सब्जियां गल चुकी है, जबकि सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ गए हैं। कई जगहों पर अफलन (फली न आने या दाना नहीं पड़ने) की शिकायतें मिली हैं तो कहीं पौधे में ही फलियां अंकुरित हो गई हैं। सबसे ज्यादा नुकसान मूंग-उड़द और कपास (जिन्होंने गर्मी में कपास बोया है) को हुआ है। उधर, धान, ज्वार, बाजरा फसल की सेहत ठीक होने की अब भी आस रख सकते हैं, बशर्ते कृषि वैज्ञानिकों से लेकर कीटनाशक दवाई का स्प्रे करें। वैज्ञानिकों का मानना है जिन किसानों ने फसल विविधता (एक साथ कई फसल) अपनाई है, उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान कम होगा।

बारिश के कारण इन फसलों को ये हुआ नुकसान

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सोयाबीन : खेतों में पानी भरने से अधिक नुकसान सोयाबीन को हुआ है। सोयाबीन पूरी तरह बर्बाद हो गई है, और जो बची है उसमें कीड़े लगने का खतरा है। पत्ते पीले पड़ गए हैं। खेत में फलियां समय से कटाई नहीं होने के कारण अंकुरित हो गई हैं।
मक्का : फसल में इल्लियां लग गई है। मौजूदा समय में फलों (भुट्‌टे आ गए हैं) को इल्लियां चट रही है। इल्लियां आने के कारण फल खोखला हो गया है।
गन्ना : जमीन गीली होने से गन्ना फसल गिरने का खतरा पैदा हो गया है। यह निमाड़, नरसिंहपुर और बैतूल जैसे इलाकों में गन्ने की खेती व्यापक स्तर पर होती है।
कपास : पौधा खाली है। ज्यादा बारिश होने से सड़न की स्थिति निर्मित हो रही है। जहां गर्मी या इसके बाद कपास लगाई है, वहां पर डेंडू नहीं लग रहे हैं। पौधा सड़ने लगी है।
धान : बारिश को धान की फसल के लिए अमृत माना जाता है लेकिन अब उस पर खतरा मंडराने लगा है। ज्यादा बारिश होने से फसल में बीमारियों का अटैक आ गया है।
मूंग-उड़द : फसल का समय निकल गया है। खेत भरे होने के कारण सड़न की स्थिति बन रही है। फल की शुरुआत हो गई थी लेकिन लगातार बारिश होने के कारण फल नीचे गिर गए हैं।
सब्जी : मूसलाधार बारिश का तत्काल असर सब्जियों पर देखने को मिलता है। यह नाजुक होने के कारण इसके फल बारिश की वजह से गिर गए है। पानी भरने से सड़न का खतरा बन है।

बीमा दावा राशि प्राप्त करने के लिए ये करें

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मौजूदा समय में फसल में अफलन और कीट-व्याधि का प्रकोप देखने को मिल रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय आपदा के मध्य में यदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण अधिसूचित क्षेत्र के पटवारी हल्के अनुमानित वास्तविक उपज का 50 फीसदी से कम रहने की संभावना में त्वरित क्षतिपूर्ति एवं ऑन अकाउंट का प्रावधान है। बशर्ते कलेक्टर और कृषि विभाग का नोटिफिकेशन जरूरी है। नोटिफिकेशन के सात दिन के भीतर सत्यापन होगा। हल्का क्षेत्र के हिसाब से 10-15 सैंपल लेंगे। इसमें देखेंगे कि अब कितना उत्पादन मिल सकता है। यदि उत्पादन 50 फीसदी से कम होता है तो 25 फीसदी बीमा दावा मिल जाएगा।

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