भोपाल। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने हर साल 500 पदों पर नियुक्ति करने की बात कही है। प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 4727 पद खाली हैं। मंत्री पटवारी ने जून में कहा था कि सरकारी कॉलेजों के असिस्टेंट प्रोफेसर्स के खाली पड़े पदों में से 25 प्रतिशत पर दो महीने में भर्ती कर ली जाएगी। इसके बाद जुलाई में भी उन्होंने विधानसभा में 25 प्रतिशत पदों पर दो महीने में भर्ती होने का दावा किया था, लेकिन दो महीने बाद भर्ती तो ठीक नया विज्ञापन तक जारी नहीं हो सका है।
मंत्री जीतू पटवारी ने भर्ती को लेकर कब-क्या कहा...
8 जून 2019- सत्र 2019-20 शुरू होने से पहले ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया सहित अन्य विषयों की जानकारी देने के लिए मंत्री पटवारी ने पत्रकारवार्ता आयोजित की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि दो महीने में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
21 जुलाई 2019- विधानसभा में मंत्री पटवारी ने फिर दो महीने में 25 प्रतिशत पदों पर एमपीपीएससी के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर्स के पद भरने का दावा किया था।
21 सितंबर 2019- इंदौर के देवी अहिल्या विवि में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री पटवारी ने कहा कि एमपीपीएससी के माध्यम से हर साल असिस्टेंट प्रोफेसर के 500 पद भरे जाएंगे।
2017 से प्रक्रिया जारी लेकिन पदस्थापनाएं नहीं हो रहीं
41 विषयों पर भर्ती के लिए उच्च शिक्षा विभाग पीएससी के माध्यम से 2017 से प्रक्रिया संचालित कर रहा है। एक बार तो उम्मीदवारों की चयनसूची जारी कर दी गई और सत्यापन भी करा लिया गया, लेकिन अब दोबारा से चयन सूची जारी की जा रही हैं। सिर्फ एक विषय की सूची जारी होनी है। इन सभी विषयों में करीब 2719 उम्मीदवारों का चयन होगा। यदि इनकी नियुक्ति होती है और विभाग हर साल 500 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त करता है तो भी 4 साल बाद सभी पद भरे जा सकेंगे।
लगातार बढ़ रही कॉलेजों की संख्या
प्रदेश में लगातार नए सरकारी कॉलेज खोले जा रहे हैं। पिछले 5 साल में करीब 129 सरकारी कॉलेज खुले हैं। सत्र 2013-14 में 386 कॉलेज थे। सत्र 2018-19 में इनकी संख्या 515 पर पहुंच गई, लेकिन इनके लिए जो नए पद स्वीकृत हुए उन पर भी भर्ती नहीं हो पा रही है। ऐसे में पहले से संचालित काॅलेजों में कार्यरत प्रोफेसर्स को यहां नियुक्त किया गया है। इससे पुराने कॉलेजों में भी रेगुलर शिक्षकों की कमी हुई है। इससे पढ़ाई पर असर पड़ा है।
28 साल से भर्ती नहीं
सरकारी कॉलेजों में करीब 28 वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई है। इस कारण यहां अतिथि विद्वानों के सहारे पढ़ाई कराने की व्यवस्था शुरू की गई। अब यह व्यवस्था भी परेशानी का कारण बनी हुई है। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के अवसर नहीं मिलन से कई लोग अतिथि विद्वान के रूप में लंबे समय से पढ़ा रहे हैं और अब यह नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं।