नई दिल्ली। भारतीय रेलवे बिना नई ट्रेन शुरू किए करीब 4 लाख बर्थ बढ़ाने जा रही है। नई बर्थ राजधानी, हमसफर, दुरंता और शताब्दी जैसी सैंकड़ों ट्रेनों में होगी। दरअसल इन ट्रेनों में पॉवर कोच हटाकर यात्री कोच लगाया जा रहा है। ट्रेनों का एसी और लाइट 'हेड ऑन जनरेशन' सिस्टम (HOG System) से चलेगा। फिलहाल 28 ट्रेनें इसी सिस्टम पर सफलतापूर्वक चल रहीं हैं।
4 लाख नई सीटें मिलेंगी
इसके जरिए अगले महीने से हर दिन 4 लाख अतिरिक्त बर्थ आने की उम्मीद है। इस नई टेक्नोलॉजी से ट्रेन इंजन से पावर जनरेट होगी और बिजली के लिए अतिरिक्त पावर कार नहीं जोड़नी होगी। इस कारण से एसी और लाइटिंग के लिए अलग इंजन से ही पावर जनरेट हो जाएगा।
हर ट्रेन में 1 से 2 अतिरिक्त पावर कार होती है
अभी इस तरह के काम के लिए हर ट्रेन में 1 से 2 अतिरिक्त पावर कार जोड़ी जाती हैं। फिलहाल 6 जोड़ी शताब्दी, 4 जोड़ी राजधानी, हमसफर एक्सप्रेस, दिल्ली सराई रोहिला उधमपुर एसी एक्सप्रेस, ताज एक्सप्रेस और शान ए पंजाब ट्रेन इस सिस्टम पर चल रही हैं
सालाना 42 करोड़ रुपए बचेंगे, आय होगी सो अलग
इस HOG सिस्टम से उत्तरी रेलवे के सालाना 42 करोड़ रुपए बचेंगे। अगले चरण में 11 जोड़ी ट्रेनों में ये सिस्टम जोड़ा जाएगा। जिसमें 2 शताब्दी, 2 दुरंतो और 7 मेल एक्सप्रेस ट्रेन और एचओजी सिस्टम में बदला जाएगा।
भारतीय रेलवे ने कई प्रीमियम और और मेल एक्सप्रेस ट्रेन में एलएचबी कोच जोड़े हैं। इन कोच एसी, लाइट, पंखे, चार्जिंग प्वाइंट के लिए लगातार पावर सप्लाई की जरूरत होती है। इसे होटल लोड कहा जाता है।
सीधे ट्रेन के इंजन से ही पावर की सप्लाई
इसके लिए जनरेटर के तौर पर पावर कार का उपयोग किया जाता है। पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, पावर सप्लाई सिस्टम और कंट्रोल सिस्टम में टेक्नोलॉजी के बढ़ने से अब रेलवे HOG सिस्टम अपना रहा है। इस सिस्टम में सीधे ट्रेन के इंजन से ही पावर की सप्लाई की जा सकती है और पावर कार्स की जरूरत नहीं होती।
HOG सिस्टम सस्ता और पर्यावरण अनुकूल है। इसमें फेल्युर के चांस भी कम है। अब रेलवे पावर कार्स के स्थान पर यात्री डिब्बे लगाकर अतिरिक्त कमाई कर सकता है। इसके अलावा डीजल की भी बचत होगी। साथ ही ध्वनि प्रदूषण पर भी रोक लगेगी।