रतीराम गाडगे टीकमगढ़। मुख्यमंत्री कमलनाथ शायद इस बात को भूल गऐं। कि 15 वर्ष का वनवास समाप्त करने में अतिथि शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन अब अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की जगह अतिथि शिक्षकों को स्कूलों से बाहर कर दिया। नियमित करने के नाम पर फरवरी 2019 में एक समिति का गठन किया था, तीन माह की जगह आठ माह का समय बीत गया। चूंकि अब जब आमना सामना हुआ तो सीधा अनुचित जबाव दिया, सरकार के पास पैसा नही हैं सरकार के पास कोईं पेड़ नही लगा है। जिसे जब चाहा तब हिला लिया जाये।
मुख्यमंत्री कमलनाथ अपनी छलकपट नीति को सार्वजनिक नही कर रहे है लेकिन सीएम के दिल में क्या चल है। वो खुद उभर कर सामने आ गया। जो इस प्रकार हैं, जो अतिथि शिक्षक लगातार अल्प मानदेय पर 10 साल से नियमित रुप से शिक्षण कार्य करते आ रहे है। ऐसे सभी अतिथि शिक्षकों को पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का समर्थक कमलनाथ सरकार ने मान लिया है। इसीलिऐं, अतिथि शिक्षक भर्ती में नियम कानून बनाकर अतिथि शिक्षकों को स्कूलो से बाहर कर दिया गया है।
परसेंट के आधार पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती की गईं गत बर्ष में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को प्राथमिकता नही दी गईं। जबकि 10 साल पहले परसेंट कम बनती थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस तरह हर साल नीति बनाकर अतिथि शिक्षकों को स्कूलों से बाहर करते जायेगे और साल 2022.23 में जो अतिथि शिक्षक रह जायेगे उन्हें नियमित करने की नीति बनायेगे क्योकि कमलनाथ के सिर पर 2023 का विधानसभा चुनाव जो होगा।
इसलिए अभी तक माध्यमिक शाला में बिषयवार अतिथि शिक्षकों की भर्ती नही की। इससे थोक में अतिथि शिक्षक स्कूलो से बाहर हो गयें। जबकि प्रदेश में शिक्षक बिहीन स्कूल चल रहे है।बर्ष 2018 और 2023 के बीच में कमलनाथ सरकार में जो अतिथि शिक्षक कार्यरत होगे उन्हें हर वर्ष पोलिसी बनाकर पृथक किया जायेगा। जो शेष 2022/23 में कार्यरत होगे उन्हें नियमित करने की नीति बनाने का निर्णय लिया जायेगा और सरकार बनने के बाद नियमित करने का पुन: कमलनाथ वादा करेगे।