भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से हाथ खड़े कर दिए हैं। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में बनने वाले 2.30 लाख घरों को केंद्र सरकार को सरेंडर कर दिया है। एमपी सरकार की ओर से कहा कि गया कि पैसों की कमी के चलते वह इस साल प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना के तहत बनने वाले 2.30 लाख घरों का निर्माण नहीं करा पाएगा।
केंद्र सरकार ने पूछा तो जवाब भेज दिया
सूत्रों के मुताबिक, गत 30 जुलाई को सीएम कमलनाथ की ओर से ग्रामीण विकास मंत्रालय को एक लेटर भेजकर यह सूचना दी गई। मंत्रालय को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि वहां प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास योजना के तहत मकान नहीं मिल रहे हैं। इस पर जब मंत्रालय ने राज्य से जवाब मांगा तो सीएम ने पैसों की कमी बताते हुए इस साल घर बना पाने में असमर्थता जता दी।
मात्र 40 प्रतिशत योगदान राज्य सरकार का है
दिलचस्प बात यह है कि अभी तक इस योजना में मध्य प्रदेश लगातार अव्वल राज्यों की श्रेणी में रहा है, क्योंकि पिछले साल तक वहां बीजेपी की सरकार थी। मकान निर्माण की लागत में 60 फीसदी केंद्र सरकार व 40 फीसदी राज्य सरकार का योगदान होता है।
कमलनाथ सरकार राजनीति कर रही है
बीजेपी को लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी की फ्लैगशिप योजना 'सबके लिए मकान' को राजनीति के तहत प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। पहचान उजागर ना करने की शर्त पर मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, 'मध्य प्रदेश ने जो घर सरेंडर किए हैं, उनकी तादाद बड़ी है, इसलिए वे दूसरे राज्यों को बांट दिए जाएंगे लेकिन इससे नुकसान प्रदेश का होगा।'