कुणाल से लेकर कमलनाथ तक सब अतिथि शिक्षकों के साथ थे | KHULA KHAT

आदरणीय महोदय जी, मप्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्रीमान ज्योतिरादित्य जी ने कहा था कि कांग्रेस सरकार आने पर सरस्वती का सम्मान होगा। माननीय कमलनाथजी ने अतिथि शिक्षक नियमितिकरण का वचन दिया था दिग्विजय सिंहजी ने अतिथि शिक्षकों को नियमित कराने की जिम्मेदारी सरकार बनने पर ली थी। इसी प्रकार गत अतिथि शिक्षक भोपाल आंदोलन में पीसी शर्माजी ने मंच पर जल्द उनके नियमितिकरण की नीति लाने का वचन दिया था और कहा था मै अपना सम्मान आपसे आपके नियमित होने के बाद कराऊंगा इसी तारतम्य में प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति का गठन किया था। 

जिस पर 90 दिनों में संविदा कर्मियों, अतिथि शिक्षकों, रोजगार सहायकों के नियमितिकरण संबंधी नीति बनाने की जिम्मेदारी थी। अभी तक उस समिति का व उसकी नीति का कोई अता पता नहीं है जबकि कई बार कैबिनेट की मीटिंग हो चुकी है। अब अतिथि शिक्षक सरकार को वचन याद दिलाने के लिए तिरंगा यात्रा निकालने की तैयारी कर रहे है। महोदय जी सभी अतिथि शिक्षकों का नियमितिकरण असंभव है परंतु सरकार चाहे तो 3-5 वर्ष का सेवाकाल डीएड, बीएड प्रशिक्षण व सत्र 2005, 8, 11 की पात्रता परीक्षा पास करने वाले अतिथि शिक्षकों के नियमितिकरण संबंधी नीति लागू करके इनके नियमितिकरण का काम शुरू कर सकती है क्योंकि अतिथि शिक्षक पूर्व में स्थायी किए गए गुरूजी व शिक्षा‍कर्मियों से ज्यादा योग्यता रखते है क्योंकि उनकी नियुक्तिया ग्राम पंचायत व जनपद पंचायत से की गई थी जबकि वर्तमान समय के अतिथि शिक्षक ज्यादातर 2005, 8, 11 व्यापम संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा पास है वर्तमान सरकार ने सत्र 2018-19 में सेवा देने वाले अतिथि शिक्षकों को 25 अंक का बोनस देकर कई वर्षों तक सेवा देने वाले अतिथि शिक्षकों के साथ अन्याय किया है यदि सरकार चाहती तो शासकीय शिक्षकों की भांति प्रति कार्य वर्ष 10 अंक बोनस दे सकती थी जिससे वरिष्ठता को सम्मान मिलता जो कि नहीं किया गया। 

म.प्र में 8 वर्ष से शिक्षक भर्ती नहीं हुई है और पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री माननीय बाबूलाल गौरजी के समय से अतिथि शिक्षक प्रदेश की शिक्षा व्यथवस्था संभाल रहें है व अति अल्पमानदेय पर सेवा दे रहे है। जबकि छ.ग कांग्रेस सरकार अतिथि शिक्षकों को अच्छा वेतन दे रही है म.प्र से लगभग दुगुना। हरियाणा, दिल्ली सरकार मप्र से 3-4 गुना ज्यादा वेतन दे रही है हरियाणा सरकार तो 58 वर्ष का सेवाकाल व वर्ष में दो बार वेतन वृद्धी संबंधी प्रस्तााव अतिथि शिक्षक हित में पास कर चुकी है। वही उ.प्र सरकार शिक्षामित्रों को 10 हजार वेतन दे रही है साथ ही स्थायी शिक्षक भर्ती में 2.5 अंक प्रतिवर्ष अधिकतम 10 वर्ष तक 25 अंक स्थायी शिक्षक भर्ती में दे रही है व हर साल हजारों शिक्षकों की भर्ती कर रही है। 

जबकि म.प्र में अतिथि शिक्षक तबादला होने पर शिक्षक पदस्थ होने से नौकरी से बाहर हो रहे है व कई इस दर्द को सहन न कर पाने से दिल के दौरे का शिकार बन चुके है ऐसे में प्रदेश के सत्ताधीशों को अपने वचन व ली गई जिम्मेदारी आगामी शिक्षक दिवस तक कोई ठोस अतिथि शिक्षक नियमितिकरण संबंधी नीति लागू करके पूरी करना चाहिए क्योंकि भविष्य में जल्द ही पुन: आचार संहिता लग जाएगी व ये मुद्दे रह जाने से अतिथि शिक्षक व उनके परिवार आर्थिक संकट व अनिश्चिंत भविष्य से नष्ट हो जाएगे ऐसे मे उनके बच्चे व परिजन भूखे मरेंगे।

अब अतिथि शिक्षकों के विषय में इस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अपनी बात पूरी करना चाहिए कहीं ऐसा न हो कि उनके वचन भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजजी की 11 मई 2013 रायसेन अंत्योदय मेले में अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाने वाली घोषणा की तरह कोरी साबित हो क्योंकि भाजपा को भी कर्मचारियों पर की गई घोषणाएं पूरी न कर पाने से सत्ता खोना पड़ी थी। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते कर्मचारियों की मॉंगो को नैतिक समर्थन दिया था और आज सरकार आने पर उनका यह नैतिक दायित्व है कि वे इसे पूरा करें कुनालजी, दिग्विजयजी, कमलनाथजी, पीसीशर्माजी, विवेक तन्खाजी ने सदा अतिथि शिक्षकों की मॉंगो का समर्थन विपक्ष में रहते किया है। अब अतिथि शिक्षक उनकी ओर आशा से देख रहे है। जल्दी अपनी चुप्पीं तोड़े और अपना वचन पूरा करके अपना नैतिक दायित्व निभाए।

सादर धन्यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया
उदयपुरा जिला रायसेन मप्र

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