ग्वालियर। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान (Indian Institute of Tourism and Travel Management,) ग्वालियर के डायरेक्टर डाॅ. संदीप कुलश्रेष्ठ (Director Dr. Sandeep Kulshrestha) की 2003 में प्राेफेसर पद पर हुई नियुक्ति काे हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने गलत ठहराते हुए निरस्त करने का आदेश दिया है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने मनोज प्रताप सिंह यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की सीबीआई जांच का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने डाॅ. कुलश्रेष्ठ पर 20 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है जो उन्हें याचिकाकर्ता को देना होगा।
मामले पर डाॅ. कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति नहीं मिल पाई है। इस मामले में विधि विशेषज्ञों से चर्चा कर अपील की जाएगी। मनाेज आईआईटीटीएम (IITTM) के पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उन्हाेंने डाॅ. कुलश्रेष्ठ की 2003 में प्रोफेसर पद पर हुई नियुक्ति को नियम विरुद्ध बताते हुए याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि 2014 में भी डाॅ. कुलश्रेष्ठ को संस्थान का डायरेक्टर बनाने में नियमों की अनदेखी की गई। डाॅ. कुलश्रेष्ठ ने अपने बायोडाटा में बताया कि उन्होंने माधव काॅलेज में 1991 से 1996 के दौरान एमबीए के स्टूडेंट्स को पढ़ाया है। जबकि माधव काॅलेज में एमबीए कोर्स का संचालन ही नहीं हाेता। डायरेक्टर के पद के लिए जिस समय साक्षात्कार लिए जा रहे थे, उस समय डाॅ. कुलश्रेष्ठ के खिलाफ विभागीय जांच भी लंबित थी। नियुक्ति में इस तथ्य की भी अनदेखी की गई।
1997 में हुई थी रीडर के पद पर नियुक्ति : डाॅ. संदीप कुलश्रेष्ठ की आईआईटीटीएम में बतौर रीडर 1997 में नियुक्ति हुई थी। 2003 में उन्होंने प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया जिसमें उनका चयन किया गया। 2014 में उन्हें आईआईटीटीएम ग्वालियर का डायरेक्टर बनाया गया। आईआईटीटीएम के देशभर में पांच कैंपस (भुवनेश्वर, नोएडा, नेल्लोर,ग्वालियर और गोवा)हैं। इन सबका मुख्यालय ग्वालियर में है।
2017 से खुद पैरवी कर रहे थे : नियुक्ति को चुनौती देने का मामला जून 2016 में कोर्ट में पेश किया गया। शुरुआत में इस मामले में पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने पैरवी की लेकिन जुलाई 2017 से याचिकाकर्ता मनोज पाल सिंह यादव ने खुद ही इस मामले में पैरवी की। इस दौरान ऊंची आवाज में बात करने व व्यक्तिगत आरोप लगाने पर हाईकोर्ट ने उन्हें फटकार भी लगाई थी।