जबलपुर। सरकारी कॉलेजों में छात्रों को छात्रवृत्ति के नाम पर बिना वजह भटकाया जा रहा है। इस बात का ताजा उदाहरण गुरुवार को कलेक्ट्रेट में देखने मिला। जब एक छात्रा को एक साल से मेधावी छात्र योजना की राशि नहीं दी जा सकी। सिर्फ इसलिए कि कॉलेज ने पर्याप्त दस्तावेज फार्म के साथ स्केन करके ऑनलाइन नहीं किए थे। यहां तक की छात्रवृत्ति दिलाने के नाम पर उसे कलेक्ट्रेट जिला ई गवर्नेंस शाखा भेज दिया गया। जहां छात्रवृत्ति का कोई काम ही नहीं किया जाता। बावजूद इसके ई गवर्नेंस शाखा ने छात्रवृत्ति पोर्टल खोलकर छात्रवृत्ति अटकने का मूल कारण बताया और छात्रा की मदद की गई।
मेधावी छात्र योजना में होमसाइंस कॉलेज की छात्रा स्वर्णलता सोनी को दूसरे वर्ष की छात्रवृत्ति नहीं मिली। अब छात्रा तीसरे वर्ष में अध्ययन कर रही है। कॉलेज वाले यह जानकारी नहीं दे सके कि छात्रा के दर्ज फार्म में कुछ रिकॉर्ड कम हैं। जब ई गवर्नेंस शाखा प्रभारी चित्रांशु त्रिपाठी ने पोर्टल से उसकी जानकारी प्राप्त की तो सीधी गलती कॉलेज की देखने मिली। क्योंकि पोर्टल में कॉलेज द्वारा ही सही फार्म न भरने का एरर यानी तकनीकी गलती बताया। बावजूद इसके कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोग छात्रा की मदद नहीं कर सके। छात्रा पहले महीनों तक भटकनें के बाद एनआईसी भी गई। यहां तक की अल्पसंख्यक विभाग के कर्मचारी भी उसकी मदद नहीं कर सके।
मेधावी छात्र योजना के अलावा अल्पसंख्यक, आदिवासी विकास विभाग से भी छात्रवृत्ति जारी होती है। लेकिन छात्रों की छोटी-छोटी गलतियों का कॉलेज वाले कोई समाधान नहीं कर पाते। अधिकांश छात्रों को कलेक्ट्रेट ही भेज दिया जाता है। ऐसे दर्जनों छात्र हैं, जिनके फार्म में कोई दस्तावेज की कमी होती है। ऐसी गलतियां कॉलेज स्तर पर सुधारने की जगह छात्रों को ही भटकाने का काम किया जा रहा है।