अब्दुल कादिर। मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा प्रथमिक शिक्षा में गुडवत्ता सुधार हेतु राज्य शिक्षा सेवा के गठन का फैसला जुलाई 2013 में लिया गया था। जिसके लिए बकायदा राजपत्र प्रकशित हुआ।जिसमें विकासखंड में सहायक संचालक एवं एरिया एजुकेशन ऑफिसर जैसे नवीन पद सृजित किए गए परंतु आपसी खींचतान के जरिये हैडमास्टर संघ ने सभी एईओ के पदों पर परीक्षा के बजाय सीधे पदोन्नति के लिए हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका लगा दी।
100 से अधिक याचिकाओं का निराकरण करते हुयेमाननीय न्यायालय ने परीक्षा पास अभ्यर्थियों को ही जिनक शैक्षणिक अनुभव5 व वर्ष से अधिक है।उनको मौका देने के आदेश दिये। इस मामले को प्रधानाध्यापक संघ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी।जिसे भी खारिज कर दिया गया। अब एक बार फिर एईओ को जमीन में उतारने तैयारी हो चुकी है। जिस पर 2013 के चयनित अभ्यर्थियों ने मांग की है कि योग्यता को ही आधार बनाकर योग्य एवं युवा पीढ़ी को एईओ के पदों पर नियुक्ति दी जाए।
गौर तलब है कि 23000 परीक्षार्थयो ने इस परीक्षकों पास किया है। पुराने एच एम के द्वारा इस पद पर प्रभारी बनाने की मांग पूर्णतः अनुचित ओर गैर सवेंधनिक है। सभी चयनित अभ्यर्थियों ने। आयुक्त लोकशिक्षण को ज्ञापन देकर माँग की है कि इस विषय पर संवेदनशीलता एवं शिक्षा विभाग के भविष्य को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जावे।