ग्वालियर। चिटफंड कंपनी (Chitfund Company) के मालिक के खिलाफ मामला दर्ज होने के बावजूद उसे गिरफ्तार ना करने एवं उसका बचाव करने के आरोप में 6 पुलिस अधिकारियों को आरोप पत्र थमाया गया है।
आरोपियों की गिरफ्तारी में हुई देरी के मामले में ग्वालियर एसपी नवनीत भसीन ने 10 जुलाई 2015 से 4 जनवरी 2019 तक पुलिस थाना ग्वालियर के प्रभारी रहे 6 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया है। मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में गोकरण शर्मा की याचिका पर सुनवाई में सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि सभी अधिकारियों को प्रारंभिक जांच में दोषी मानते हुए सात दिन में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। शासन का जवाब सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया है।
दरअसल, ग्वालियर निवासी गोकरण शर्मा ने चिटफंड कंपनी मै. उम्मीद कार्पोरेशन प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के संचालकों व कर्मचारियों के खिलाफ सितंबर 2015 में पुलिस थाना ग्वालियर में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया। आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। अप्रैल 2019 में जब हाईकोर्ट ने एसपी नवनीत भसीन को तलब किया, उसके कुछ दिन बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
हालांकि बाद में आरोपियों की गिरफ्तारी में हुई देरी के मामले में 6 पुलिस अधिकारियों पर आईजी ग्वालियर राजाबाबू सिंह ने एक-एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया। इस पर हाईकोर्ट ने मप्र के डीजीपी को ये बताने के लिए कहा कि क्या ऐसे मामले में मामूली अर्थदंड लगाना चाहिए या फिर इसकी विभागीय जांच होना चाहिए? हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए डीजीपी ने भी माना कि इस मामले की विभागीय जांच होना चाहिए। 27 जुलाई को सभी 6 पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिन में अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया। 11 अगस्त को एसपी नवनीत भसीन ने अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया।