तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण पौधा माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा होना चाहिए। यदि नहीं है तो लक्ष्मीजी रूठ जातीं हैं। तुलसी के पत्तों का सेवन भी अत्यंत लाभदायक बताया गया है परंतु तुलसी के पत्तों को तोड़कर सीधे दांतों से चबाकर खाने को वर्जित कहा गया है। कहते हैं इससे भगवान रूठ जाते हैं। सवाल यह है कि क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क भी है या फिर केवल एक पाखंड है। आइए जानने की कोशिश करते हैं:
तुलसी के पत्तों का वैज्ञानिक महत्व क्या है
वनस्पति विज्ञान से एमएससी (2018) ज्योत्स्ना बिश्नोई (Jyotsna Bishnoi) के अनुसार तुलसी को हिन्दू धर्म में एक बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र पौधा माना गया है। तुलसी एक महत्वपूर्ण औषधि है जो कई तरह के रोगों के निदान में प्रयोग में लाई जाती है। आयुर्वेद में तुलसी के पत्ते को सबसे बेहतरीन प्राकृतिक एंटी-बायोटिक माना जाता है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि तुलसी में पाया जाने वाला तैल हमारी श्वांस संबंधी तकलीफों का सबसे प्रभावी उपाय है।
तुलसी के पत्ते चबाने से क्या बीमारी हो जाती है
परंतु तुलसी के पत्ते में काफी मात्रा में आयरन और पारा( मर्करी) पाया जाता है। तुलसी के पत्ते को चबाने पर ये तत्व हमारे मुंह में घुल जाते हैं। ये दोनों ही तत्व हमारे दांतों की सेहत के लिए तथा उनकी सुंदरता के लिए नुकसानदेह हैं। तुलसी थोड़ी अमलीय यानी कि एसिडिक नेचर की होती है, इसलिए रोजाना इसका सेवन दांतों की तकलीफों को दावत दे सकता है। तुलसी की पत्तियों में मामूली मात्रा में आर्सेनिक भी होता है। इसे अगर दांत से चबाया गया तो यह हमारे मुंह में मौजूद क्षार तत्वों से मिल जाएगा। इसके परिणामस्वरूप दांतों की सड़न और मसूड़ों की परेशानी होती है। इसलिए पत्तियों को दांत से नहीं चबाना चाहिए बल्कि इसे पूरी तरह निगल लेना चाहिए।
तुलसी की चाय फायदा करती है या नुक्सान
तुलसी के इस्तेमाल का सबसे बेहतर तरीका होता है चाय के साथ इसका सेवन करना। तुलसी के पत्ते का उपयोग कर बनाई गई चाय प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है और मुंह के जर्म्स से सुरक्षा दिलाने में सहयोग करती है।