SAGAR NEWS : BMC की लैब में 27 प्रकार की जांचें फ्री होंगी

सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) में तैयार होने वाली कॉलेज लेवल की वायरोलॉजी लैब (Virology Lab) का रास्ता साफ हो गया है। लैब के लिए शुरुआती चरण में केंद्र सरकार ने दो करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी कर दी है। इससे लैब के लिए न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) तैयार किया जाएगा, बल्कि उपकरण खरीदी और स्टाफ के वेतन की व्यवस्था की जाएगी। जल्द ही कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में लैब आकार लेने लगेगी। इस लैब के बनने के बाद बीएमसी में 27 प्रकार की जांचें मुफ्त में होंगी।  

वायरोलॉजी लैब प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमित रावत ने बताया कि पहली किस्त में मिले दो करोड़ रुपए में से करीब 50 लाख रुपए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में लैब का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर खर्च किए जाएंगे। इस राशि से यहां एक रिसेप्शन तैयार किया जाएगा। इसमें मरीजों के सैंपल कलेक्ट किए जाएंगे और यहीं से मरीजों को रिपोर्ट दी जाएगी। इसके अलावा लैब में नियुक्त होने वाले वैज्ञानिकों के बैठने और रिसर्च करने के लिए वातानुकूलित (एयरकंडीशन) चैंबर बनाए जाएंगे। इसके अलावा चार छोटी-छोटी लैब भी तैयार की जाएंगी। इन लैबों में विभिन्न उपकरण लगाए जाएंगे। इन उपकरणों से सैंपलों की जांच की जाएगी। 

डॉ. रावत के अनुसार करीब 70 लाख रुपए लैब की मशीनरी पर खर्च किया जाएगा। इस राशि से बेहद अत्याधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे। करीब 20 लाख रुपए की राशि अलग-अलग प्रकार की किट खरीदने पर खर्च की जाएगी। इन किट से विभिन्न बीमारियों के सैंपलों की जांच और रिसर्च की जाएगी। शेष बची राशि लैब में तैनात होने वाले स्टाफ के वेतन पर खर्च की जाएगी। हालांकि लैब पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च होना है। अभी 4 करोड़ रुपए की दो किस्तें और जारी होना बाकी है। पहली किस्त की राशि से लैब का शुरूआती काम हो सकेगा। 

पहले स्वीकृत हुई थी स्टेट लेवल की लैब: करीब पांच साल पहले बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के लिए स्टेट लेवल की वायरोलॉजी लैब स्वीकृत की गई थी। स्टेट लेवल की लैब नहीं मिल पाने की वजह केंद्र सरकार द्वारा एम्स भोपाल में स्टेट वायरोलॉजी लैब खोले जाने की स्वीकृति दिया जाना है। हालांकि लैब का स्तर घटने से जांच की गुणवत्ता और सुविधाओं में विशेष फर्क नहीं आएगा। डॉ. रावत ने बताया कि लैब के लिए करीब 5 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से 40 छोटी बड़ी मशीनें खरीदी जाएंगी। पहली किस्त से इनमें से कुछ मशीनों की खरीदी हो जाएगी। 

ये 27 जांचें अब सागर में हो सकेंगी 

लैब खुलने के बाद स्वाइन फ्लू, डेंगू, इन्फ्लूएंजा, बर्ड फ्लू, रैबीज वायरस, एचआईवी, रोटा वायरस, चिकनगुनिया सहित करीब 27 प्रकार की वायरल बीमारियों के सैंपल की जांच मेडिकल कॉलेज में ही हो सकेगी। मरीजों के सैंपल जबलपुर, ग्वालियर या भोपाल की लैबों में नहीं भेजना पड़ेंगे। इससे न सिर्फ 48 घंटे में मिलने वाली रिपोर्ट 24 घंटे में मिलेगी, बल्कि इन बीमारियों पर शोध कार्य का सीधा फायदा भी बुंदेलखंड के मरीजों को मिलेगा। 

स्टेट और कॉलेज लैब में अंतर 

स्टेट लेवल : 4 रिसर्च साइंटिस्ट होते हैं, मशीनों में मामूली अंतर होता है, लेवल-4 फेसिलिटी होती है, इबोला, सार्स और अन्य बेहद गंभीर बीमारियों के सैंपल की जांच की सुविधा होती है। 

कॉलेज लेवल : 2 रिसर्च साइंटिस्ट होते हैं, मशीनें स्टेट लेवल से 1 या 2 कम होती हैं, लेवल-3 तक फेसिलिटी होती है, इबोला, सार्स और अन्य बेहद गंभीर बीमारियों के सैंपल की जांच सुविधा नहीं होती

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