नई अफवाह! कमलनाथ नई पार्टी बनाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी में ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही, लेकिन कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में इस तरह की चर्चा सुनी गई है। वहां कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राहुल गांधी के व्यवहार से हताश हो गए हैं और विकल्प पर विचार कर रहे हैं। वो अपने 30 विधायकों के साथ कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बना सकते हैं। उनकी पार्टी को भाजपा का समर्थन प्राप्त होगा और इस तरह कमलनाथ सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। 

मुख्यमंत्री कमलनाथ हताश क्यों हो गए

यदि भोपाल के सीसीटीवी कैमरों की समीक्षा की जाए तो कमलनाथ यहां सबसे पॉवरफुल कांग्रेस नेता नजर आते हैं। दिग्विजय सिंह गुट को उन्होंने अच्छी तरह से साध लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के मंत्री और विधायक आवाज बुलंद जरूर करते हैं परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी विरोधी कदम उठाने की स्थिति में नहीं हैं। अत: सिंधिया से कोई खतरा नहीं है। निर्दलीय एवं सपा, बसपा के विधायक भी धमकियां देते हैं परंतु महत्व मिलते ही चुप हो जाते हैं। कुछ विधायकों को मंत्री पद नहीं मिला लेकिन वो अपने इलाके में प्रभारी मंत्री से ज्यादा पॉवरफुल हैं। तनातनी होती रहती है परंतु तनाव इतना नजर नहीं आता कि कोई भी गुट सरकार गिराने वाला कदम उठा ले, लेकिन यदि दिल्ली की स्थिति देखें तो हालात बदल जाते हैं। राहुल गांधी, कमलनाथ से बेहद नाराज हैं। प्रियंका गांधी ने भरी मीटिंग में 'कमलनाथ को कांग्रेस का हत्यारा' कह दिया। कमलनाथ के बेटे सांसद नकुल नाथ को राहुल गांधी की टीम में खड़े रहने की अनुमति भी नहीं मिली है। सोनिया गांधी भी कमलनाथ को वो महत्व नहीं दे रहीं हैं जो लोकसभा चुनाव से पहले दे रहीं थीं। यानी गांधी परिवार ने कमलनाथ के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं और कमलनाथ के लिए तो कांग्रेस का मतलब ही गांधी परिवार था। 

सरकार बचाने के लिए क्या कर सकते हैं कमलनाथ

दिल्ली के सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ की प्राथमिकता है, अपनी कुर्सी को बचाए रखना। जीवन के इस पड़ाव पर वो संगठन और गांधी परिवार की सेवा के नाम पर मुख्यमंत्री के पद का त्याग करने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली के कांग्रेसी पंडितों का मानना है कि जो परिस्थितियां चल रहीं हैं, यदि उनमें सुधार नहीं हुआ तो कमलनाथ, चौंकाने वाला कदम उठा सकते हैं। मध्यप्रदेश में कमलनाथ गुट के करीब 30 विधायक हैं। यदि कमलनाथ गुट कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाता है तो भाजपा उसे समर्थन दे सकती है। कांग्रेस से मध्यप्रदेश छीनने के लिए भाजपा, कमलनाथ सरकार में शामिल भी हो सकती है। सीएम कमलनाथ रहेंगे, मंत्रीपदों पर सौंदा हो जाएगा। 

तो क्या इसीलिए कमलनाथ दिल्ली में मोदी और अमित शाह से मिले थे

अब प्रश्न यह उपस्थित होता कि क्या कमलनाथ खुद इस तरह की कोई जमावट कर रहे हैं। पिछले दिनों वो पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने गए। यह मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से मिल सकता है ऐसी मुलाकात में कोई भी कयास लगाना अनुचित होगा परंतु उन्होंने अपने उत्तराधिकारी नकुल नाथ का भी मोदी से मिलवाया। यह थोड़ा अलग था। यह मुलाकात कोई संकेत देती है। कमलनाथ, मुख्यमंत्री बनने के बाद 2 बार अमित शाह से मिल चुके हैं। दूसरी बात तो एक मुख्यमंत्री भारत के गृहमंत्री से मिल रहा था लेकिन यह मीटिंग कुछ ऐसी थी कि मुख्यमंत्री के प्रेस कार्यालय ने एक फोटो तक जारी नहीं की ना ही अमित शाह ने इस मुलाकात का जिक्र किया। लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह खुद नेताप्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित उन तमाम भाजपा दिग्गजों को डांट चुके हैं जो कमलनाथ सरकार को गिराने की बात कर रहे थे। प्रश्न यह है कि क्या दीनदयाल मार्ग पर मध्यप्रदेश के लिए कोई ऐसी रणनीति बन रही है जो कमलनाथ के लिए भी लाभदायक हो और भाजपा के लिए भी। 

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