इंदौर। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधारने के लिए संभागीय प्रशासन और शिक्षा विभाग नई पहल करने जा रहे हैं। इंदौर संभाग के सभी जिलों में हर जन शिक्षा केंद्र (Mass education center) में हर साल एक प्राइमरी और एक मिडिल स्कूल को उत्कृष्ट (Excellent school बनाया जाएगा। इन चुने गए स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए हर वह प्रयास किया जाएगा जो उस स्कूल के हिसाब से जरूरी है। पूरे संभाग में हर साल 524 प्राथमिक और 524 माध्यमिक स्कूल इस तरह कुल 1048 स्कूलों को उत्कृष्ट बनाया जाएगा।
इन स्कूलों में सबसे पहले शिक्षकों के शैक्षिक कौशल को बढ़ाने के लिए उनका विशेष प्रशिक्षण कराया जाएगा। कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। सबसे पहले विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाई जाएगी, फिर उन बच्चों का पढ़ाई का स्तर बढ़ाने पर खास ध्यान दिया जाएगा। इस प्रयोग में हर साल नए स्कूल जुड़ते चले जाएंगे। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी (Divisional Commissioner Akash Tripathi) ने बताया कि हमारा उद्देश्य शासकीय स्कूलों को बेहतर बनाना है, जिनमें शासन स्तर से सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हैं। इस पहल के लिए अलग से कोई बजट नहीं रखा गया है। उपलब्ध संसाधनों और बजट से ही स्कूलों को बेहतर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। यह काम इसी शैक्षणिक सत्र से शुरू हो जाएगा। स्कूल को बेहतर बनाने में शाला प्रबंधन समिति (एसएमसी) की भी महती भूमिका रहेगी।
जन शिक्षकों की होगी जिम्मेदारी
चयनित स्कूलों की निगरानी जन शिक्षा केंद्र से शुरू होकर विकासखंड, जिला और फिर संभाग स्तर से होगी। हर जन शिक्षा केंद्र पर दो-दो जन शिक्षक होते हैं। इनमें से एक-एक जन शिक्षक को इन चयनित स्कूलों का प्रभारी बनाया जाएगा। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण मनीष वर्मा ने बताया कि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बनाए रखने के लिए जन शिक्षक जिम्मेदार रहेंगे। वे स्कूलों पर सतत निगरानी रखेंगे। महीने में दो बार स्कूल जाएंगे।
हर माह होगी समीक्षा
चयनित स्कूलों की सूची ब्लॉक, अनुविभाग और जिला स्तर पर भी होगी। वहां के अधिकारी भी स्कूलों पर नजर रखेंगे। जिला स्तर पर हर महीने और संभाग स्तर पर हर दूसरे महीने समीक्षा की जाएगी। लापरवाही मिली तो संबंधित शिक्षकों और जन शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। जिला स्तर पर होने वाली समीक्षा बैठक में संभाग स्तर से भी शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक, उप संचालक या सहायक संचालक जाएंगे। इस योजना में पहले ऐसे स्कूलों का चयन किया जाएगा जहां शिक्षकों की कमी न हो। साथ ही उन स्कूलों को प्राथमिकता देंगे जिनकी कनेक्टिविटी अच्छी हो ताकि जांच और निगरानी के लिए आसानी से पहुंचा जा सके।
स्वच्छता, स्वास्थ्य और पोषण पर भी ध्यान
चयनित स्कूलों में पढ़ाई के साथ स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण आदि बिंदु भी शामिल किए जाएंगे। चयनित स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कुछ काम भी किए जाएंगे। यदि किसी स्कूल में सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवॉल या गेट नहीं है तो वह भी बनवाए जाएंगे। पीने के पानी के इंतजाम के अलावा शौचालय आदि इंतजाम भी ठीक किए जाएंगे। स्कूल में प्रयोगशाला और लाइब्रेरी आदि सुविधाओं से भी बच्चों को सीधे जोड़ा जाएगा। इस काम में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की पूरी मदद ली जाएगी।