भोपाल। आरटीई के कानूनी प्रावधानों में के मुताबिक शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य से मुक्त रखा गया है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों से गैर शिक्षकीय कार्य जिसमें आम चुनाव, जनगणना व आपदा प्रबंधन को छोड़कर अन्य कार्यो में संलग्न करना माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं आरटीई के प्रावधानों का उल्लंघन है। इनका पालन करवाने की जवाबदेही जिला प्रशासन पर है।
अक्सर देखा गया है कि जवाबदार अधिकारी ही इन प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए विभिन्न गैर शिक्षकीय कार्य (जिसमें सबसे विवादित ड्यूटी है बीएलओ की) में ड्यूटी लगाने से गुरेज नहीं करते है। दिनांक 14/06/2019 को एसडीएम नसरूल्लागंज जिला सिहोर ने शिक्षकों को "मुख्यमंत्री कन्यादान" प्रबंधन में ड्यूटी लगाकर 15/06/2019 को मुक्त किया है।
ऐसे आदेशों से शिक्षकों को मानसिक यातना भुगतना पड़ती है वहीं प्रशासनिक फजीहत व अपरिपक्वता उजागर होती है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ का सुझाव है कि शिक्षकों की ड्यूटी लगाने में आरटीई एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का दृढ़ता से पालन करते हुए समुचित खयाल रखा जाना चाहिए ताकि प्रशासनिक सौहार्द बना रहे।