भोपाल। आर्थिक अनियमितताओं के मामले में ईओडब्ल्यू (EOW) ने दो पूर्व लोकसभा सदस्य मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणि मालवीय और राज्यसभा सदस्य नारायण सिंह केसरी (Manohar Uranwal, Chintamani Malviya, Narayan Singh Kesari) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जांच एजेंसी ने एक पूर्व मनोनीत विधायक लोरेन बी लोबो (Lorraine B. Lobo)के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की है। विधायक पर आरोप है कि उन्होंने विधायक निधि के 25 करोड़ रुपए अपने बेटे और बेटी की संस्थाओं को बांटे हैं। जबकि तीनों सांसदों ने शिक्षण संस्थाओं में एमपी लैट्स स्कीम के तहत कंप्यूटर शिक्षण परियोजना के तहत सांसद निधि (MP fund) से कंप्यूटर की स्थापना तथा प्रशिक्षण का काम कराया था। इनके लिए उन्होंने एनजीओ संबल की अनुशंसा की। इस संस्था ने घटिया कंप्यूटर की सप्लाई की थी।
मनोहर ऊंटवाल :
अक्टूबर 2014-15 में शाजापुर कलेक्टर को 60 लाख रुपए के काम के लिए संबल की अनुशंसा की थी। इसमें 10 शिक्षण संस्थाओं में काम कराया गया था। 2015-16 में आगर मालवा कलेक्टर को 24 लाख रु. के काम की अनुशंसा की थी।
चिंतामणि मालवीय :
उज्जैन कलेक्टर को पत्र लिखकर संबल के लिए 48 लाख रुपए के काम की अनुशंसा की थी। इसमें आठ शिक्षण संस्थाओं में काम कराया गया था।
नारायण सिंह केसरी
2014-15 में रतलाम कलेक्टर को अनुशंसा करके चार शिक्षण संस्थाओं के लिए 24 लाख रुपए की राशि संबल को दिलाई थी।
लोरेन बी लोबो
2007 से 2018 के बीच अपने बेटे एलजी लोबो और बेटी लिना डिलायमा की एनजीओ को करीब 25 करोड़ रुपए बांटे थे।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रकरणों की पैरवी के नाम पर 54 लाख का घोटाला
ईओडब्ल्यू ने मप्र के पूर्व महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एए मिश्रा और विधि अधिकारी सुधीर श्रीवास्तव के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इनके द्वारा बोर्ड के प्रकरणों की पैरवी के नाम पर यात्रा करने और अन्य तरीके से 54 लाख रुपए का अवैध पारिश्रमिक लेने का आरोप है। कौरव पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की काउंसिल में अधिवक्ता थे। मिश्रा और श्रीवास्तव द्वारा इसे बढ़ावा दिया गया।