प्रॉपर्टी की कीमत कितनी होनी चाहिए कैसे पता करें, यह रहा फार्मूला | BEST PROPERTY VALUATION FORMULA

Bhopal Samachar
जब आप प्रॉपर्टी खरीदते (BUY PROPERTY) हैं तो सबसे बड़ा प्रश्न यह होता है कि कैसे पता लगाया जाए कि प्रस्तावित प्रॉपर्टी के लिए कितना मूल्य अदा करना चाहिए (RIGHT PRICE OF PROPERTY)। विक्रेता (PROPERTY SELLER) का अपना फार्मूला होता है। ज्यादातर विक्रेता आसपास बिकी किसी प्रॉपर्टी से थोड़ा ज्यादा मांग रखते हैं। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकारी दर को देखें, उससे थोड़ा कम या ज्यादा अदा कर दें लेकिन प्रश्न यह है कि क्या कोई फिक्स फार्मूला (LOGICAL FORMULA) नहीं है जो यह बताता हो कि प्रॉपर्टी का सही मूल्य (REAL VALUE PROPERTY) क्या है। किसी भी मकान, दुकान या फ्लैट की कीमत क्या होनी चाहिए (HOUSE, SHOP, DUPLEX OR FLAT)। आइए हम आपको ऐसा ही फार्मूला बताते हैं। 

दाम PLOT के बढ़ते हैं, दीवारों के घटते हैं

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मकान, दुकान या फ्लैट के दाम कभी नहीं बढ़ते। दाम केवल प्लॉट के बढ़ते हैं। यदि मकान, डुप्लैक्स, बंगला, दुकान या फ्लैट पुराना है तो उसकी दीवारों के दाम समय के साथ बढ़ते नहीं बल्कि घट जाते हैं। मान लीजिए, एक मकान 20 या इससे अधिक साल पुराना है तो फिर उसका मूल्य केवल उतना ही होगा जितना कि उस स्थान पर प्लॉट का होना चाहिए। क्योंकि 20 साल बाद किसी भी भवन को मृत मान लिया जाता है। इसी तरह जैसे जैसे मकान, डुप्लैक्स, बंगला, दुकान या फ्लैट पुराना होता जाता है उसकी दीवारों की कीमत कम होती जाती है। इसका एक कारण यह भी है। 2005 में भवन निर्माण लागत 500 रुपए प्रति स्क्वायर फीट थी। 2019 में यह 1100 रुपए स्क्वायर फीट हो गई। यदि 2005 की निर्मित प्रॉपर्टी खरीदेंगे तो निर्मित भवन के लिए क्या मूल्य अदा किया जाना चाहिए। 

यह है एकमात्र फार्मूला जो PROPERTY के PRICE निर्धारित करता है | HOW TO SET A PRICE OF PROPERTY

किसी भी प्रॉपर्टी में निवेश करने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आपको उस प्रॉपर्टी से कितना किराया मिल सकता है। किसी भी प्रॉपर्टी का रेंट उसकी लोकेशन, शहर और पॉपुलेशन पर निर्भर करता है। आपको बहुत सारा अध्ययन नहीं करना होगा। बस कुछ ऐजेंट्स से मिलिए और किराए का निर्धारण करने के लिए कहिए। जब आपको उसका अनुमानित किराया पता चल जाए तो उसे इस फार्मूले में फिट कीजिए। प्रॉपर्टी का वार्षिक किराया उसके मूल्य का 3 प्रतिशत होना चाहिए। मान लीजिए आपको प्रॉपर्टी का मासिक किराया 25 हजार रुपए मिलेगा तो एक वर्ष में यह 3 लाख रुपए हुआ। इस तरह प्रॉपर्टी का मूल्य 1 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए। 

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