भोपाल। एक शोरूम पर एक ट्रैवल्स संचालक ने गाड़ी की फर्जी बीमा पॉलिसी (Fake insurance policy) देने के आराेप लगाए हैं। शिकायतकर्ता ने शोरूम से अगस्त 2018 में एक टाटा सफारी (Tata Safari) फाइनेंस (Finance) कराई थी। फर्जी कागजात (Fake papers) की बात सामने आने के बाद उन्होंने पुलिस और एक्सीडेंट के डर से घर के बाहर गाड़ी नहीं निकाली है। 10 महीने से भटक रहे शिकायतकर्ता को अब तक राहत नहीं मिली है। गाड़ी फाइनेंस कराने के कारण उन्हें हर महीने किस्त भी चुकानी पड़ रही है।
राहुल नगर निवासी प्रवीण बौद्ध (Praveen Buddhist) ट्रैवल्स संचालक (Travel Director) हैं। उन्होंने अगस्त 2018 में वरेण्यम मोटर्स (VARENYAM MOTORS) के शोरूम से टाटा सफारी गाड़ी खरीदी थी। गाड़ी उन्होंने फाइनेंस कराई थी। प्रवीण ने बताया कि रजिस्ट्रेशन कार्ड आने पर उन्होंने बीमा पॉलिसी देखी तो दोनाें में अंतर था। इसकी शिकायत उन्होंने कंपनी से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शोरूम पर करीब तीन बार शिकायत करने के बाद इसकी शिकायत आरटीओ और फिर लोकपाल में की। प्रवीण ने आरोप लगाए कि गाड़ी देते समय उनसे बीमा के नाम पर 31 हजार रुपए लिए गए थे। जब उन्होंने ऑनलाइन इसकी जांच की, तो उन्हें गाड़ी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। शिकायत मिलने के बाद आरटीओ ने शोरूम संचालक को नोटिस जारी कर दिया है। प्रवीण ने बताया कि उन्होंने जिंसी स्थित वरेण्यम मोटर्स के मैनेजर विशाल सक्सेना से गाड़ी ली थी।
RTO ने जारी किया नोटिस
प्रवीण ने सफेद रंग की गाड़ी ली थी, जबकि पॉलिसी में उसे ब्लैक रंग का दिखा दिया गया। इंजन और चेचिस नंबर भी गलत है। इतना ही नहीं ऑनलाइन चेक करने पर उनके नंबर पर 100 रु का बीमा दिख रहा है।आरटीओ का काम पूरी तरह से ऑनलाइन हो गया है। इसमें शोरूम संचालक को ही पूरी जानकारी भरनी होती है। गाड़ी और ग्राहक से लेकर उसके कागजात तक की डिटेल शोरूम से ही ऑनलाइन भरी जाती है। जानकारी पूरी तरह फीड होने के बाद ऑटोमेटिक नंबर जारी हो जाता है। इसके बाद आरटीओ में उस गाड़ी की एक फाइल बन जाती है। आरटीओ के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जिससे उनके कागजात और शोरूम द्वारा भरी गई जानकारी की जांच की जा सके।