जबलपुर। विधानसभा चुनाव के समय रीवा की एसडीएम नीलमणि अग्निहोत्री एवं कलेक्टर प्रीति मैथिल द्वारा डाकपाल सर्वेश सोनी के खिलाफ दर्ज कराई गई आचार संहिता उल्लंघन की एफआईआर हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई है और इसी के साथ दोनों अधिकारी संदेह की जद में आ गए हैं। यह पद एवं शक्तियों के दुरूपयोग का मामला हो सकता है।
जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस अखिल कुमार श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने माना कि शासकीय कार्यक्रम में शामिल होना सरकारी कर्मी के लिए चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। कोर्ट ने इस मत के साथ रीवा जिले में पदस्थ सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज कर दी। रीवा जिले के सिरमौर निवासी सर्वेश सोनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर बताया कहा कि वह शाखा डाकपाल है। 16 सितंबर 2018 को वन विभाग ने एक उद्घाटन कार्यक्रम में उसे आमंत्रित कर सामाजिक सरोकारों के लिए सम्मानित किया। इसके चित्र व कार्यक्रम के बैनर उसने फेसबुक पर शेयर किए। इस दौरान गत विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू थी। इसी वजह से एसडीएम व निर्वाचन अधिकारी ने 30 अक्टूबर 2018 को इसकी शिकायत पुलिस में करते हुए आईपीसी की धारा 188 व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करा दी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा एफआईआर को बेबुनियाद बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि प्रथमदृष्टया ही एफआईआर में लगाए गए आरोप निराधार हैं। सरकारी कार्यक्रम में वह आमंत्रण के बाद शामिल हुआ था। वह चुनावी कार्यक्रम या सभा नहीं थी। ना ही वहां किसी तरीके से वोट मांगे गए। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने सहमति जताते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज करने का निर्देश दिया।
अवैध खनन और भ्रष्टाचार के मामले उठाता था सर्वेश
बता दें कि सर्वेश सोनी डाक विभाग में डाकपाल के पद पर है। इसके अलावा वो पर्यटन कार्यकर्ता भी हैं। इन सबके बीच सर्वेश सोनी क्षेत्र में अवैध उत्खनन और भ्रष्टाचार के मामले भी उठाते रहते थे। एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोप लगाए गए थे कि सर्वेश सोनी को प्रताड़ित करने के लिए यह मामला दर्ज किया गया है। एसडीएम नीलमणि अग्निहोत्री एवं कलेक्टर प्रीति मैथिल द्वारा पद, अवसर एवं शक्तियों का दुरुपयोग किया है।