नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में पूरी ताकत लगा देने के बावजूद मिली शर्मनाक पराजय के बाद राहुल गांधी का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। उन्होंने कांग्रेस के उन सभी वरिष्ठ नेताओं को टारगेट पर लिया जिन्होंने पार्टी से पहले परिवार को महत्व दिया और परिजन की जीत के लिए पार्टी को हारने छोड़ दिया। राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि आने वाले 10 दिनों में एक्शन लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि कई महासचिव एवं प्रदेश अध्यक्ष हटाए जा सकते हैं।
राहुल ने शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के दौरान यह प्रस्ताव रखा था। लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा था कि मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और जिम्मेदारी लेते हुए मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, कार्यसमिति ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राहुल ने बैठक में कहा कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता अपने बेटों को टिकट दिए जाने के लिए अड़े थे। राहुल गांधी इससे सहमत नहीं थे। उन्हें लगता था कि चुनाव लड़ने की जगह ये लोग चुनावी अभियान में बड़ा रोल अदा करना चाहिए। राहुल ने कहा कि इन वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी हित की बजाय अपने बेटों के हित में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने कहा कि गहलोत ने एक हफ्ते तक बेटे के लिए जोधपुर में चुनावी अभियान किया और पार्टी के दूसरे कामों को नजरंदाज कर दिया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट देने को कहा था। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी अपने बेटे कार्ति को शिवगंगा से टिकट दिए जाने को कहा था। कमलनाथ के बेटे नकुल को छिंदवाड़ा और कार्ति को शिवगंगा सीट पर जीत मिली है। गहलोत के बेटे वैभव को जोधपुर सीट पर हार मिली।