शिक्षा विभाग: अब कनिष्ठ देंगे वरिष्ठों को प्रशिक्षण | KHULA KHAT

महोदय, मैं आपके माध्यम से शासन को बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की नीति है कि हाईस्कूलों में वरिष्ठ अध्यापक/लेक्चरर पद से नीचे का व्यक्ति नियुक्त नहीं किया जाएगा यद्धपि पुराने कुछ हाईस्कूलों में अभी भी अध्यापक और यू.डी. टी. कार्यरत हैं। कक्षा 9 का रिजल्ट सुधारने की कवायद में प्रतिवर्ष विभाग कक्षा 9 पढ़ाने वाले हाईस्कूल शिक्षकों को ब्रिजकोर्स का प्रशिक्षण कराता आया है तथा प्रशिक्षण देने हेतु प्रत्येक जिले से 3-4 वरिष्ठ और अपने-अपने विषय में पारंगत योग्य शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर हेतु चुना जाता है और उन्हें भोपाल में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है, तब वे अपने-अपने जिलों में जाकर शिक्षकों को प्रशिक्षण देते हैं।

इसी कवायद के तहत वर्तमान में भोपाल में अलग-अलग चरण में मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण चल रहा है जिनके प्रशिक्षण आदेश आयुक्त महोदय जयश्री कियावत के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं। मजे की बात ये है प्रत्येक जिले में प्रत्येक विषय के कई प्राचार्य/लेक्चरर और वरिष्ठ अध्यापक पदस्थ होने के बावजूद विभाग को जिलों से तीन-तीन,चार-चार लोग नहीं मिल पाए। आदेश के साथ संलग्न सूची देखने पर पता चलता है कि किसी जिले से संविदा वर्ग 2, सहायक अध्यापक, किसी जिले से हेडमास्टर मिडिल स्कूल और लगभग सभी जिलों से अध्यापकों को मास्टर ट्रेनर बना दिया गया है। सहायक अद्यापक प्राथमिक स्तर का पद है, अध्यापक माध्यमिक विद्यालय स्तर का पद है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के शिक्षक जो वरिष्ठ अद्यापक के पद के लिए ना तो योग्यता रखते थे औऱ ना ही उन्हें उतना ज्ञान है अन्यथा वे परीक्षा पास करके वरिष्ठ अध्यापक बन जाते अब वे अपने से वरिष्ठ शिक्षकों (वरिष्ठ अध्यापकों/लेक्चरर) को कैसे प्रशिक्षण देंगे।

इनमें से कई सहायक अध्यापक / अध्यापकों और यू.डी. टी. को तो दूसरों को प्रशिक्षण देने का शौक है और उनपर जिला स्तर के अधिकारियों की कृपा दृष्टि है इसलिए वे मास्टर ट्रेनर हैं, शेष सहायक अध्यापक/अध्यापक और यू.डी. टी. वो हैं जिन्हें डरा धमका कर मास्टर ट्रेनर बना दिया गया है क्यों कि वरिष्ठ अध्यापक /लेक्चरर और प्राचार्य ट्रेनिंग लेने जाना नहीं चाहते और विभाग उन पर दबाब डालना नहीं चाहता है। प्राचार्य और प्रभारी प्राचार्य अगर ट्रेनिंग लेंगे तो किसी दूसरे का ना सही काम से कम अपने स्कूल का रिजल्ट तो सुधार ही लेंगे।

शिक्षा विभाग केवल खाना पूर्ति करने में लगा रहता है जब ये मास्टर ट्रेनर अपने जिलों में ट्रेनिंग देने जाएंगे तो केवल हास्य का पात्र बन जाएंगे और ट्रेनिंग के नाम पर अभी तक जो होता है, वही होगा- मात्र उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर का काम होगा, खाने और चाय के बिल फाड़े जाएंगे, 100-200 पेज के ब्रिज कोर्स के मॉड्यूल बाटेंगे जो शिक्षक अपनी कमर में खोंस कर घर ले जाएंगे और किसी कोने में फेंक देंगे।इसे देख कर एक कहावत याद आती है अंधेर नगरी चौपट राजा,  टके सेर भाजी टके सेर खाजा। अगर एक अध्यापक/सहायक अध्यापक/ यू.डी. टी. इतने योग्य हैं कि वे मास्टर ट्रेनर बन कर अपने से वरिष्ठ शिक्षकों को पढ़ा कर जिले के शिक्षा स्तर में सुधार कर सकतें हैं तो फिर उनके नामों पर प्राचार्य, डी. पी.सी.,डी. ई.ओ., जे.डी. और मैं तो कहूंगा आयुक्त लोकशिक्षण के पद के लिए भी विचार किया जाना चाहिए।

अगर विभाग बाकई में कुछ सुधार करना चाहता है तो पहले अपने प्राचार्यों, लेक्चरर और वरिष्ठ अध्यापकों को मास्टर ट्रेनर बना कर उनके कंधों पर जिम्मेदारी डाले और प्रशिक्षण को गुणवत्ता पूर्ण बनाये ताकि वो साधिकार अपने कार्य को बखूबी कर पाएं।

धन्यवाद
कृपया पहचान उजागर ना करें।
प्रशिक्षण आदेश की प्रतियां संलग्न

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