शिवपुरी चुनाव दलों ने यातनाएं झेली, कलेक्टर पूरे समय नदारद रहीं | KHULA KHAT

महोदय, शिवपुरी जिले में लोकसभा चुनाव पोलिंग पार्टियों के लिए किसी यातना से कम नहीं रहा। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कलेक्टर शिल्पा गुप्ता ने जिस तरह से कर्मचारियों का ध्यान रखा और उत्कृष्ट व्यवस्थाएं बनाई इस वर्ष लोकसभा चुनाव में वर्तमान कलेक्टर अनुग्रह पी ने उन सभी व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर दिया। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कलेक्टर ने सारी व्यवस्थाएं स्वयं संभाली थी। सामग्री वितरण के दौरान वे पूरे समय मंच पर उपस्थित रहीं और कोई भी कर्मचारी जिसे कोई समस्या हो उन से सीधे मिल सकता था चुनाव के दिन भी वे पोलिंग पार्टियों से वेब कास्टिंग के द्वारा जुड़ी रहीं तथा जब कर्मचारी चुनाव करा कर लौटे तो वे पूरी रात ठंड के समय शॉल ओढ़ कर मंच पर बैठी रहीं और उन्होंने पूरी व्यवस्थाएं स्वयं देखीं। यदि किसी काउंटर पर उन्हें भीड़ ज्यादा दिखी तो उन्होंने स्वयं उस काउंटर की व्यवस्थाओं को सही कराया। उन्होंने एआरओ जो कि एसडीएम होते है उन्हें भी अपने अधिकार प्रत्यायोजित नहीं किये जिसका नतीजा था कि कर्मचारी बिना समस्या अपना सामान जमा कर तुरंत अपने घर चले गए।

परंतु लोकसभा चुनाव में कलेक्टर अनुग्रह पी का कर्मचारियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया । सामग्री वितरण के लिए उन्होंने कर्मचारियों को 3 बजे बुलाया जिसका नतीजा हुआ कि वे पूरी रात सो नहीं सके, न तो वे सुबह नित्यकर्म कर पाए और न ही नाश्ता या भोजन कर सके। उस पर सामान भी 9 बजे से वितरित होना शुरू हुआ। इस दौरान कलेक्टर महोदया वितरण स्थल से नदारद रहीं। वाहन व्यवस्था में लंबे रुट के वाहनों में ऐसी बसों को लगा दिया जिनमे स्पीड गवर्नर लगा हुआ था जिसके कारण भरी गर्मी में 70-80 किलोमीटर की दूरी 4 से 5 घंटे में पूरी हुई। पोलिंग बूथ पर पार्टियों को 11 और 12 तारीख में कुल मिला कर दो बार भोजन नसीब हुआ।

चुनाव करा कर लौटे कर्मचारी जिन्होंने सुबह 4 बजे से उठ कर शाम को 6 बजे तक इतनी भीषण गर्मी में मतदान कराया है, जिन्हें दोपहर में केवल एक बार भोजन मिला है तथा मतदान के बाद फिर से जिन्होंने 3-4 घंटे की यात्रा बस में की है फिर सामान जमा स्थल पर फर्श पर बैठ कर अपने कागज़ पूरे किए हैं सोचिए वो शारीरिक और मानसिक रूप से कितना थका और बीमार हो चुका होगा। अब अगर उसको सामान जमा करने के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़े और जमा करने वाले कर्मचारियों की अभद्र भाषा सुननी पड़े तो उस पर क्या बीत रही होगी।

ऐसा ही आलम शिवपुरी में कल रात सामग्री जमा स्थल पर देखने को मिला। सामग्री देते समय जहां एक काउंटर पर 30 दलों की व्यवस्था थी वहीं जमा के समय एक काउंटर पर 50 दलों को सामान जमा करने की व्यवस्था कर दी गई। 23 करैरा क्षेत्र पर काउंटर नंबर 6-A पर फार्म 17 C  और पीठासीन डायरी की चेकिंग के नाम पर करमचरियों को 2-3 घंटे खड़ा रखा गया। इस दौरान काउंटर पर नियुक्त कर्मचारियों का व्यवहार अत्यंत ही अशोभनीय और अभद्र था। जब कर्मचारियों ने 3-4 घंटे में सारा सामान जमा कर पावती प्राप्त कर ली तो 23- करैरा के एआरओ अरविंद वाजपाई ने मंच से घोषणा कर दी कि कोई भी सेक्टर मजिस्ट्रेट किसी भी पोलिंग पार्टी को रिलीव नहीं करेगा पहले स्क्रूटिनी प्रपत्र की जांच होगी तथा हमारी विशेषज्ञ टीम द्वारा जांच  उपरांत ही उन्हें रिलीव किया जाएगा। 

स्क्रूटिनी प्रपत्र में दो कॉलम थे फ़ोटो पहचान पत्र द्वारा कितने लोगों ने मत दिया एवं अन्य वैकल्पिक पहचान पत्र द्वारा कितने लोगों ने मत दिया। इनका जोड़ कुल मतों की संख्या से मेल खाना चाहिए था। अगर केवल यह जांच होती तो भी पोलिंग पार्टियां 1 घंटे में कार्यमुक्त हो सकती थी परंतु एआरओ अरविंद वाजपाई ने 22-23 विंदु वाले स्क्रूटिनी प्रपत्र की ऑनलाइन फीडिंग करवाना शुरू कर दी। 23 करैरा में कुल 309 पोलिंग थे ओर एक स्क्रूटिनी प्रपत्र की फीडिंग में 5 से 10 मिनेट लग रहे थे। जिन पोलिंग की स्क्रूटिनी प्रपत्र में संख्या में त्रुटि थी उन्हें मंच पर बुला कर अरविंद वाजपाई ने मंच से माइक पर अपमानित किया जबकि वह त्रुटि 17c फार्मेट से 1 मिनट में सुधर सकती थी। 

इस समय रात के 2 बज चुके थे जब कर्मचारियों ने विरोध जताया तो अरविंद वाजपाई ने उनसे कहा आप मजे में तो बैठे है, बैठे रहें। उसके बाद अरविंद वाजपाई मंच से गायब हो गए तब कर्मचारी इकट्ठे होकर एडीएम और सीईओ महोदय के पास पहुंचे परंतु अमानवीयता की हद देखें उन्होंने शिकायत सुनने के बाद भी कोई जबाब देना या सर हिलाना भी उचित नहीं समझा। अंततः कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने 23 करैरा के पंडाल में जा कर जिला प्रशासन हाय हाय के नारे लगाना शुरू कर दिया तब एडीएम पुलिस के साथ वहां पहुंचे और अरविंद वाजपाई को वहां बुलवाया परंतु उन्होंने कर्मचारियों की न सुनकर एआरओ की ही सुनी।

कुछ पार्टियों ने 9 बजे स्क्रूटिनी प्रपत्र जमा किया पर 2.30 बजे भी वो चेक होकर नहीं आया। सारे पंडाल खाली हो जाने के बाद भी करैरा पंडाल में कर्मचारियों को सुबह 5 बजे तक भूखे प्यासे पड़े रहना पड़ा। खास बात ये की रिज़र्व और एक्स्ट्रा रिज़र्व दलों को भी रात 1 बजे के बाद ही एआरओ अरविंद वाजपाई ने रिलीव होने दिया। इस दौरान उनकी सहयोगी एक नायब तहसीलदार मैडम भी अपना पूरा रुतवा दिखाती दिखीं। पूरे घटना क्रम के दौरान कलेक्टर अनुग्रह पी कहीं भी दिखाई नहीं दी।

चुनाव आयोग को चाहिए कि वो जिला प्रशासन में चुनाव अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग दे ताकि वे मानवीय व्यवहार सीख सकें तथा ऐसे लोगों को सामान वितरण, सामान जमा में न लगाया जाए जिनका व्यवहार खराब है । अहंकारी व्यक्ति को ए आर ओ जैसा पद देना चुनाव कर्मचारियों के साथ अत्याचार है उन्हें चुनाव कराने के बाद भी सामान जमा के समय यातना झेलनी पड़ती है। इस चुनाव में भी कई लोग वापसी के समय उल्टी दस्त से पीड़ित थे परंतु फिर भी सामान जमा हो जाने पर भी उन्हें वहीं गंदे फर्श पर पड़े रहना पड़ा। 

वहीं मंच पर मोटे मोटे गद्दों और सोफे पर कूलर की हवा में बैठे बिसलेरी का पानी और कॉफी पीते अधिकारियों को उन कर्मचारियों की स्थिति का कोई अहसास नहीं हुआ। जबकि असली चुनाव कार्य तो उन्हीं लोगों ने किया कठिन से कठिन परिस्थिति में,  पर उनके लिए चाय तो क्या पानी की व्यवस्था भी नहीं।
एक पीड़ित कर्मचारी
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