ओड़िशा से सीखिए सरकार, मप्र के आपदा प्रबंधन में पद रिक्त पड़े हैं | KHULA KHAT by ASHISH BILTHARIA

आशीष कुमार बिलथरिया। उड़ीसा ने वर्तमान समय में एक बहुत बड़ी आपदा का सामना किया हैं लेकिन कुशल राजनैतिक व प्रशासनिक प्रबंधन सही सूचनाओं के संकलन राष्‍ट्रीय एवं राजकीय आपदा प्रबंधन संबंधी प्रशासन की सक्रियता व जनसहयोग ने इस आपदा के प्रभाव को बहुत कम कर दिया जिसकी प्रशंसा संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने भी की है। इस घटना ने इस बात के महत्‍व को तो स्‍पष्‍ट कर दिया हैं कि आपदा प्रबंधन विभाग एवं उसके कर्मचारियों की अनिवार्यता हर राज्‍य में एवं राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी हैं क्‍योंकि आपदा कभी कह कर नहीं आती हैं। 

हॉं कुछ संकेत जरूर होते हैं उन्‍ही अनुमानों के आधार पर आपदा राहत प्रबंधन किया जाता है। मैं यहां इस बात का उल्‍लेख इसलिए कर रहा हूं कि म.प्र राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में लगभग 45 पद रिक्‍त पड़े हैं और हमारे इस प्राधिकरण में दो वर्ष तक संविदा जिला सलाहकार एवं राज्‍य सलाहकार पद पर दो वर्ष तक सेवा देने वाले कर्मचारी जो कि प्रत्‍येक जिले के लिए आपदा राहत योजना बना रहे थे उनको बाहर किया जा चुका हैं। ऐसे में उनकी बनाई गयी योजना कहीं ऐसा न हो कि कुशल तकनीकि एवं प्रबंधन के अभाव में किसी दफ्तर में पड़ी पड़ी धूल खाए। 

इसके पूर्व की एक घटना का उल्‍लेख भी करना चाहूंगा कि जब इंदौर में एक इमारत गिरी थी और निगम प्रशासन ने मलबे में दबे लोगो पर जेसीबी चढ़ा दिया था हमारे प्रदेश को नदियों का मायका एवं नदी प्रदेश कहा जाता है। भारत में सर्वाधिक वन भी यहीं हैं ऐसे में आग, बाढ़ का खतरा बना रहता है। हम समुद्री आपदाओं से तो बचे हैं परंतु नर्मदांचल भी भूकम्‍प झेल चुका हैं ऐसे में हमारे प्रदेश के माननीय मुख्‍यमंत्री जी एवं गृहमंत्री जी को तत्‍काल इन हटाए गए कर्मचारियों की वापसी म.प्र राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में करना चाहिए ताकि यदि कभी कोई दुर्घटना हो तो प्रदेश में राहत कार्य एवं आपदा प्रबंधन कुशलता से किया जा सके। 

इनकी वापसी से प्रदेश की वर्तमान सरकार का संविदा सेवा बहाली संबंधी वचन भी पूरा हो जाएगा और म.प्र राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को उपयुक्‍त अनुभवी स्‍टाफ भी मिल जाएगा जिसे दो वर्ष इस प्राधिकरण में कार्य का अनुभव भी है।

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