इंदौर। किसी भी बाजार में हुंडी-चिट्ठी (HUNDI : a financial instrument that developed in Medieval India for use in trade and credit transactions) एक ऐसा लोन होता है जो बिना किसी गारंटी और गिरवी के व्यापारी को उसकी साख के आधार पर मिलता है। जिस व्यापारी को जितनी ज्यादा हुंडी-चिट्ठी मिलती है वो उतना ही बड़ा व्यापारी माना जाता है। व्यापारियों के बीच हुंडी-चिट्ठी का महत्व इतना अधिक होता है कि एक व्यापारी बैंक का डिफाल्टर होना पसंद करता है परंतु हुंडी-चिट्ठी में लिया गया पैसा निर्धारित तारीख पर ही चुकाता है परंतु इंदौर में भारत की सदियों पुरानी परंपरा टूट रही है। करीब 5000 निवेशकों के 800 करोड़ रूपए डूबने की कगार पर हैं।
हाल ही में कुछ मामलों में व्यापारियों के खुदकुशी की धमकी देने और बाउंसरों से धमकाने की घटनाएं होने के बाद हुंडी ब्रोकरों ने पुलिस के आला अफसरों से मदद मांगी है। उनका कहना है कि पैसा वापस नहीं आया तो निवेशक बर्बाद हो जाएंगे। अब इन पैसों की वसूली के लिए हुंडी ब्रोकर एसोसिएशन भी आगे आया है। इसके तहत वह डिफॉल्टर व्यापारियों से बात कर उन्हें पैसा लौटाने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है। व्यापारी फिर भी नहीं माने तो सभी मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो अगले कुछ दिनों में कई बड़े व्यापारी इसकी चपेट में आ सकते हैं। एसोसिएशन ने इस आशंका से पुलिस, क्रेडाई और अहिल्या चेंबर ऑफ कॉमर्स को भी अवगत करा दिया है।
यह लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग से अलग इसलिए होता है, क्योंकि देनदार से पैसा लेकर सीधे लेनदार को दिया जाता है। इंदौर में हुंडी ब्रोकरों का एसोसिएशन अहिल्या फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर एसोसिएशन के नाम से रजिस्टर्ड है। इनका टीडीएस भी कटता है। इसके 75 सदस्य 5000 से ज्यादा लोगों का पैसा मार्केट में निवेश करवाते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल सैनी ने बताया पिछले दो वर्षों में नोटबंदी के बाद इन 5000 निवेशकों के 800 करोड़ रुपए बाजार में फंस गए हैं।
हाल ही में कुछ मामलों में व्यापारियों के खुदकुशी की धमकी देने और बाउंसरों से धमकाने की घटनाएं होने के बाद हुंडी ब्रोकरों ने पुलिस के आला अफसरों से मदद मांगी है। उनका कहना है कि पैसा वापस नहीं आया तो निवेशक बर्बाद हो जाएंगे। अब इन पैसों की वसूली के लिए हुंडी ब्रोकर एसोसिएशन भी आगे आया है। इसके तहत वह डिफॉल्टर व्यापारियों से बात कर उन्हें पैसा लौटाने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है। व्यापारी फिर भी नहीं माने तो सभी मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो अगले कुछ दिनों में कई बड़े व्यापारी इसकी चपेट में आ सकते हैं। एसोसिएशन ने इस आशंका से पुलिस, क्रेडाई और अहिल्या चेंबर ऑफ कॉमर्स को भी अवगत करा दिया है।
व्यापारी की साख पर मिलती है हुंडी, कोई गारंटी नहीं लगती
व्यापारी और उद्योगपति कारोबार में लगने वाली पूंजी बैंक, एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) और बाजार से आपसी संबंधों के जरिए जुटाते हैं। बाजार से ली जाने वाली राशि अकसर हुंडी-चिट्ठी पर 6 से 8 माह की छोटी अवधि के लिए दी जाती है। देनदार से कोई गारंटी नहीं मांगी जाती और न ही कुछ गिरवी रखा जाता है, सिर्फ व्यापारी की साख पर पैसा देते हैं। इस तरह का 80 प्रतिशत काम हुंडी ब्रोकर करते हैं। उन्हें इसके बदले 1.5 प्रतिशत कमीशन लेनदार से मिलता है।यह लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग से अलग इसलिए होता है, क्योंकि देनदार से पैसा लेकर सीधे लेनदार को दिया जाता है। इंदौर में हुंडी ब्रोकरों का एसोसिएशन अहिल्या फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर एसोसिएशन के नाम से रजिस्टर्ड है। इनका टीडीएस भी कटता है। इसके 75 सदस्य 5000 से ज्यादा लोगों का पैसा मार्केट में निवेश करवाते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल सैनी ने बताया पिछले दो वर्षों में नोटबंदी के बाद इन 5000 निवेशकों के 800 करोड़ रुपए बाजार में फंस गए हैं।