भोपाल। केन्द्रीय कर्मचारियों के मूल्य सूचकांक आधारित डीए को आधार बनाकर राज्य कर्मचारियों को हर छः माह में भुगतान की व्यवस्था राज्य शासन द्वारा की जाती है। राज्य सरकार द्वारा डीए भुगतान में दोहरा मापदंड अपना रखा है, इससे राज्य कर्मचारियों को हजारों करोड़ रुपयों का आर्थिक नुकसान विगत दशकों में हो चुका है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं जिला शाखा नीमच के अध्यक्ष-कन्हैयालाल लक्षकार, प्रांतीय महामंत्री-हरीश बोयत ,प्रांतीय सचिव-जगमोहन गुप्ता व यशवंत जोशी, जिला शाखा इंदौर, धार, रतलाम, मंदसौर, ग्वालियर के अध्यक्ष सर्वश्री राजकुमार पाण्डेय, कैलाश चौधरी, शरद शुक्ला, अशोक शर्मा, मुन्नीराम शर्मा ने संयुक्त प्रेस नोट में कहा है कि राज्य सरकार द्वारा डीए भुगतान में दोहरा मापदंड अपना रखा है, इससे राज्य कर्मचारियों को हजारों करोड़ रुपयों का आर्थिक नुकसान विगत दशकों में हो चुका है। राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (आईएएस, आईपीएस,आयएफएस) को डीए केन्द्रीय कर्मचारियों के साथ ही उसी दर से भुगतान के आदेश दे दिये जाते है। इन्हें सातवें वेतनमान के आधार पर संशोधित प्रासंगिक भत्ते भी भुगतान किये जा रहे है, इनसे राज्यकर्मियों को वंचित रखा गया है।
दोहरी व्यवस्था से कर्मचारियों में भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं। जनवरी 2019 से 3% डीए केन्द्रीय कर्मचारियों के समान भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को मिलने का मार्ग तो प्रशस्त हो गया पर राज्य कर्मचारियों के लिए सरकार की चुप्पी न्यायसंगत नहीं है । किसानों के भुगतान के लिए निर्वाचन आयोग ने मंजूरी दी है । राज्य कर्मचारियों के 3% डीए जनवरी 2019 से देने के लिए भी मप्र सरकार को अविलंब निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भेजकर अनुमति लेना चाहिए ताकि राज्यकर्मियों की नाराजगी समाप्त हो सके । कर्मचारी नेताओं ने सरकार से मांग की है कि भविष्य में प्रदेश कर्मचारियों को डीए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ ही भुगतान के आदेश जारी किये जावे जिससे भेदभाव समाप्त हो सके साथ ही प्रासंगिक भत्तों पर भी सहानुभूति पूर्वक निर्णय लिया जाकर आदेश प्रसारित किये जाने चाहिए।