जयारोग्य अस्पताल के डॉक्टरों ने पकड़ा ब्लड बैंक का फर्जीवाड़ा | GWALIOR NEWS

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ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल के ब्लड बैंक में एक अजीब फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। एक युवक गुरूवार की दोपहर जेएएच के फर्जी सील सिक्के लगा क्रोस्मेट कार्ड लेकर ब्लड बैंक में पहुंचा। जब डॉक्टर्स को संदेह हुआ तो पड़ताल में पता चला कि क्रास्मेट कार्ड, सील सबकुछ फर्जी है। इतना ही नहीं जो ब्लड ग्रुप युवक लेकर आया वह तो ब्लड बैंक से जारी ही नहीं हुआ था। 

पूछताछ शुरू हुई तो अटेण्डेंट अपने साथी को बुलाने के बहाने बाहर गया और गायब हो गया। डॉक्टर्स ने इसकी शिकायत शाम को जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक से दर्ज कराई है, इसके बाद कंपू थाने मामला दर्ज कराने पहुंचे हैं। दरअसल ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीज पंकज का परिजन गुरूवार की दोपहर जेएएच के ब्लड बैंक में पहुंचा था। उसने होल ब्लड लौटाते हुए कहा कि अभी मरीज को जरूरत नहीं है, इसलिए आप इसे अपने फ्रीजर में रख लो। डॉक्टर्स ने कहा कि पहले क्रास्मेट कार्ड लेकर आओ तभी इसे जमा किया जाएगा। युवक बाहर खड़े अपने साथी से कार्ड लेकर आ गया। जब कार्ड चैक किया तो वह जेएएच का दिखाई नहीं दिया, लेकिन ऐसा लगा कि वह जेएएच के असली कार्ड को स्कैन करके तैयार किया गया है। इतना ही नहीं उस पर जेएएच के फर्जी सील भी लगे थे। जांच में वह भी फर्जी पाए गए। 

इसके बाद जब ब्लड ग्रुप की जांच हुई तो पता चला कि पंकज नाम के मरीज को ए पॉजीटिव ब्लड जारी हुआ था, जबकि जो ब्लड ग्रुप अटेण्डेंट जमा करने आया था वह ओ पॉजीटिव था। मामला गड़बड़ दिखाई देने पर डॉक्टरों ने अटेण्डेंट से पूछा कि यह ब्लड हमारे यहां से जारी नहीं हुआ है, तुम कहां से लेकर आए हो। इस पर अटेण्डेंट ने कहा कि ब्लड वह नहीं उसका साथी लेकर गया था, वह तो केवल जमा करने आया है। डॉक्टरों ने कहा कि कौन साथी है, उसे बुलाकर लाओ। युवक बाहर गया लेकिन इसके बाद वापस नहीं लौटा।

ब्लड बैंक के डॉक्टर अरुण जैन सहित अन्य चिकित्सक इस फर्जीवाडे की शिकायत करने गुरूवार की शाम को जेएएच अधीक्षक डॉ अशोक मिश्रा के पास पहुंचे थे। पूरा घटनाक्रम सुनने के बाद उन्होंने डॉक्टर्स को तत्काल कंपू थाने में एफआईआर कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही डॉक्टरों के दिए आवेदन को थाने के लिए अग्रेषित भी कर दिया है। रात 9 बजे डॉक्टर कंपू थाने शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। गौरतलब है इसमें जेएएच के फर्जी सील एवं क्रोस्मेट कार्ड का प्रयोग हुआ था, इसी वजह से एफआईआर का निर्णय लिया गया है।

होल ब्लड लेने पर जेएएच में करीब 1050 रूपए की शासकीय रसीद कटती है। ऐसे में क्या यह फर्जीवाड़ा केवल पैसे के लिए किया गया था। ब्लड जमा करने आए युवकों ने जो ब्लड ग्रुप जमा कराने का प्रयास किया था, वह ओ पॉजीटिव था। जबकि इस ग्रुप का ब्लड मरीज को जारी ही नहीं हुआ। ऐसे में क्या यह ब्लड संक्रमित था। जो लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं, क्या वह पहले भी इस प्रकार से फर्जी क्रास्मेट कार्ड पर सील लगाकर ब्लड जमा करा चुके हैं।

ब्लड बैंक में जो फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, उसकी जांच अब पुलिस को सौंपी जा रही है। अब कंपू पुलिस पता लगाएगी कि आखिर जेएएच के फर्जी सील लगाकर ब्लड जमा कराने का उद्देश्य क्या था। ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीज एवं परिजनों से भी पूछताछ होगी। इसमें यह भी देखा जाएगा कि ब्लड जमा करने वाले वास्तव में पंकज नाम के मरीज के रिश्तेदार भी थे या कोई दूसरे थे।

वर्जनः
ब्लड बैंक में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। हमें इसके पीछे कोई रैकेट होने का संदेह दिखाई दे रहा है। इसलिए हमने डॉक्टर्स को कंपू थाने में एफआईआर कराने के निर्देश दिए हैं। जिससे इस पूरे मामला का खुलासा हो सके।
डॉ अशोक मिश्रा, अधीक्षक जेएएच

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