आयुष्मान बीमा योजना ने केवल तकलीफ दी, कर्जा लेकर कराया मां का ऑपरेशन | GWALIOR NEWS

ग्वालियर। अम्बाह से बेटा अपनी बीमार मां को इलाज के लिए ग्वालियर के अस्पताल ले (gwalior hospital) कर आया। तीन निजी अस्पतालों में पहुंचा, आयुष्मान बीमा योजना(Ayushmann Bima Yojana) बीपीएल का कार्ड (BPL CARD) भी दिखाया, मगर उपचार की जगह केवल धक्के मिले। जेएएच पहुंचा तो वहां भी 8 दिन भटकता रहा, सीएम हेल्पलाइन पर गुहार लगाई, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। हार-थककर रिश्तेदारों से कर्जा लेकर बीमार मां का ऑपरेशन एक निजी अस्पताल में करवाया। गुरुवार को पीड़ित सीएमएचओ (CMHO) के सामने पहुंचा और अस्पताल के बिल सामने रखकर बोला कि इतने कार्ड सब बेकार, जो बीमार मां को इलाज नहीं दिला सके। इनको रख लो, केवल इतना करो कि अब कोई दूसरा बेटा मेरी तरह परेशान न हो। 

गिर्राज उपाध्याय (Girraj Upadhyaya) निवासी अंबाह मुरैना की मां मीना देवी (Meena Devi) उम्र 40 को गायनिक प्रोब्लम (Gaynik Problem) थी, उनकी सर्जरी होना थी। बीपीएल कार्ड धारक होने के साथ ही आयुष्मान बीमा योजना का कार्ड भी था। गिर्राज 28 मार्च को अपनी मां को लेकर ग्वालियर के ग्लोबल अस्पताल में पहुंचा। वहां पर उपचार से इनकार कर दिया, उनका कहना था कि उनका अस्पताल रजिस्टर्ड ही नहीं है। बिडला अस्पताल गया तो वहां आयुष्मान मित्र ने कहा कि मरीज सीरियस नहीं है, इसलिए सर्जरी अभी नहीं हो सकती। 

सिम्स अस्पताल (Syms hospital) में पहुंचा तो चेकअप की फीस 350 रुपए ली गई, बाद में पैकेज नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया गया। 29 मार्च को गिर्राज परेशान होकर जयारोग्य अस्पताल पहुंचा। यहां गायनिक विभाग की डॉ. उर्मिला त्रिपाठी ने कुछ जांचें लिखीं। जांचें करवाने के बाद जब बेटा बीमार मां को लेकर पहुंचा तो पता चला कि डॉक्टर तो अब अगले शुक्रवार को बैठेंगी। मां का दर्द समय के साथ बढ़ता जा रहा था, परेशान होकर गिर्राज ने सीएम हेल्पलाइन व आयुष्मान भारत योजना की हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराई। कलेक्टर से भी गुहार लगाई, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। शिकायत के बाद ज्वाइंट डायरेक्टर करतार सिंह ने गिर्राज से फोन पर बात की। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। मां की तकलीफ जब देखी नहीं गई तो 9 मई को रिश्तेदारों से कर्जा लेकर वह बीमार मां को लेकर डॉ रत्ना कौल (Dr. Ratna Kaul) के यहां पहुंचा। जहां ऑपरेशन का खर्चा करीब 38 हजार रुपए हुआ। तब जाकर मां को आराम मिला।

शुरू की इंसाफ की लड़ाईः 

मां के इलाज के बाद गिर्राज ने इंसाफ के लिए संघर्ष की शुरूआत की। सबसे पहले नोडल ऑफिसर डॉ.मनोज पाटीदार (Dr. MANOJ PATIDAR) से मिला। उनको पूरी जानकारी देने के बाद कार्रवाई की मांग की। नोडल ऑफिसर ने कहा कि वह इस मामलें में चारों अस्पतालों को नोटिस जारी करेंगे। साथ ही कमेटी बनाकर जांच भी कराएंगे। गिर्राज का कहना था कि जैसे वह परेशान हुआ कोई दूसरा बेटा न हो इसलिए जब तक एक्शन नहीं होगा वह चेन से नहीं बैठेगा।

युवक ने सीएमएचओ डॉ.मृदुल सक्सेना (Dr. Mridul Saxena) से भी मुलाकात की। उसका कहना था कि चारों अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, साथ ही जो खर्चा मेरा हुआ है वह भी दिलाया जाए। जब सीएमएचओ ने कहा कि पैसा मिलना नियम में नहीं है तो युवक भड़क गया। उसने कहा कि आप बताओ मैं क्या करूंगा, कैसे कर्जा चुकाऊं।

वर्जन 
युवक की शिकायत हमने सुनी है, सिम्स अस्पताल में यदि पैकेज नहीं था तो उनको फीस भी नहीं लेना थी। ग्लोबल एवं बिडला अस्पताल को भी नोटिस जारी करेंगे। साथ ही जेएएच को भी पत्र लिखा जाएगा। हमारे पास युवक पहली बार आया है, यदि पहले आया होता तो हम निशुल्क उपचार कराते।
डॉ. मनोज पाटीदार, नोडल ऑफिसर आयुष्मान भारत योजना
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