EVM और VVPAT में अंतर हुआ तो क्या होगा, गाइडलाइन यहां पढ़िए | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की मतगणना के दौरान ईवीएम और वीवीपैट में दर्ज मतों के बीच अंतर पाए जाने पर वीवीपैट की गिनती को ही अंतिम माना जाएगा। सामान्य तौर पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम और इनसे संबंधित वीवीपैट में दर्ज मतों का मिलान किया जाएगा। मगर, प्रत्याशी की मांग पर किसी विशेष ईवीएम और संबंधित वीवीपैट की भी गिनती की जा सकती है।

चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को मतगणना के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस बार सभी बूथों पर ईवीएम के साथ ही वीवीपैट का भी इस्तेमाल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम में दर्ज मतों का मिलान संबंधित ईवीएम से किया जाना है।

आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी कारण ईवीएम और वीपीपैट में दर्ज मत अलग-अलग प्राप्त होते हैं तो वीपीपैट की गिनती को अंतिम मान चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा। मतगणना के दौरान सामान्य तौर पर आयोग लॉटरी के जरिए चुने गए पांच वीवीपैट की गिनती करेगा। लेकिन यदि किसी प्रत्याशी को खास ईवीएम पर संदेह हो तो वह संबंधित वीपीपैट की  गिनती के लिए चुनाव अधिकारी के पास आवेदन कर सकते हैं। प्रत्याशी या तो खुद या फिर अपने मतगणना एजेंट के माध्यम से यह आवेदन कर सकते हैं, लेकिन अपनी मांग के पक्ष में उन्हें ठोस कारण बताना होगा। हालांकि, गिनती कराने या ना कराने का निर्णय पूरी तरह चुनाव अधिकारी के विवेक पर निर्भर करेगा।

नतीजों की घोषणा में देरी संभव
ईवीएम और पोस्टल बैलेट की गिनती के साथ ही आंकड़ों के आधार पर जीत-हार की स्थिति तो शाम तक साफ हो जाने की उम्मीद है। मगर, नतीजों की अंतिम घोषणा वीवीपैट की गिनती पूरी होने के बाद ही होगी। ऐसे में चुनाव नतीजों के आधिकारिक आंकड़े आने में देरी हो सकती है। 

सर्विस वोटर की गिनती में लगेगा समय
इस बार सर्विस वोटर पर बार कोड का इस्तेमाल किया गया है। एक सर्विस बैलेट पेपर को रीडर के माध्यम से पढ़े जाने पर औसत ढाई मिनट का समय लग रहा है। इस कारण जिन लोकसभा क्षेत्रों में सर्विस वोटर ज्यादा हैं, वहां चुनाव परिणाम देर से जारी होंगे। देश में सर्वाधिक सर्विस वोटर 42,575 जम्मू सीट पर हैं, इसके बाद उत्तराखंड में गढ़वाल संसदीय सीट पर 34,433 सर्विस वोटर हैं। तीसरा स्थान राजस्थान की झंझुनू सीट का है, जबकि चौथे स्थान पर उत्तराखंड की अल्मोड़ा सीट है।   

ईवीएम और वीवीपैट के मतों में अंतर आने पर वीवीपैट की गणना को ही अंतिम माना जाएगा। प्रत्याशी किसी खास वीपीपैट की जांच की मांग कर सकता है, लेकिन उन्हें ठोस कारण बताने होंगे। -सौजन्या, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखंड

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